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नींद में पड़ने वाले दौरे ले सकते हैं बच्चे की जानः अमेरिका स्टडी

  • Edited By palak,
  • Updated: 09 Jan, 2024 11:59 AM
नींद में पड़ने वाले दौरे ले सकते हैं बच्चे की जानः अमेरिका स्टडी

कई बार छोटे बच्चों को सोते हुए मांसपेशियों में ऐंठन के साथ दौरे पड़ने की समस्या होने लगती है। यह दौरे मुख्यतौर पर नींद के दौरान आते हैं इसलिए इनके बारे में पेरेंट्स को पता भी नहीं चल पाता। हालांकि इन दौरों के कारण बच्चों की मौत भी हो सकती है। अमेरिका में हर साल 3,000 से ज्यादा परिवार अप्रत्याशित रुप से एक बच्चे को खो देते हैं। इस बात का दावा हाल ही सामने आए अध्ययन में किया गया है। 

नहीं पता चला मौत का कारण

शोधकर्ताओं ने 1-3 साल की उम्र के बीच सात बच्चों के बिना कारण मौतों का मेडिकल रिकॉर्ड और वीडियो का इस्तेमाल सबूत के तौर पर किया गया है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटीलैंगोन हेल्थ के शोधकर्ताओं ने कहा कि - ये दौरे 60 सैकेंड से भी कम समय तक चले और हर बच्चे की मृत्यु से ठीक पहले 30 मिनट के अंदर हुए । सभी बच्चों को पहले शव की जांच की गई जिसमें मौत का कोई मुख्य कारण सामने नहीं आया।

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नींद में होने के कारण नहीं पता चलता कारण 

एनवाईयू लैंगोन में अनुसंधान सहायक प्रोफेसर के मुख्य लौरा गोल्ड ने कहा कि  हमारी स्टडी छोटी लेकिन पहले मुख्य प्रमाण प्रस्तुत करती है कि दौरे बच्चों में कुछ अचानक मौतों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं जो आमतौर पर नींद के दौरान ही होते हैं। इस कारण इनका पता नहीं चलता। गोल्ड ने 1997 में 15 महीने की उम्र में अपनी बेटी मारिया को अचानक मृत्यु में खो दिया था। वह बताती है कि यदि वीडियो सबूत नहीं होते तो मौत की जांच में दौरे का कारण नहीं पता चल पाता। न्यूरोलॉजिस्ट ओरिन डेंविस्की ने कहा कि अध्ययनों के निष्कर्ष ने पता चलता है कि मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री से पता चलता है कि दौरे बहुत अधिक आम बात हैं। 

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सही इलाज से दिल के दौरे से मौतों में कमी 

एक नए अध्ययन की मानें तो दिल का दौरा या अन्य हृदय संबंधी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए कार्डिएक रिहैबिलिटेशन कारगार उपाय हो सकता है। अमेरिका के ड्यूक हेल्थ शोधकर्ताओं ने पाया कि चिकित्सकीय सुधार प्रक्रिया कार्यक्रम से 43 फीसदी तक हृदय संबंधी मौतों में कमी की जा सकती है। इसके जरिए व्यक्ति में हृदयघात रोकने या अधिक गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है। यह शोध जर्नल ऑफ कॉर्डियोपल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एंड प्रिवेंशन में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कोरोनरी धमनी रोग से पीड़ित 2,641 रोगियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण भी किया गया। इसमें शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ जीवन के बारे में लोगों को जानकारी दी गई। 

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