राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों और अन्य नेताओं को हस्तनिर्मित कलाकृतियों और उत्पादों के विशेष रूप से तैयार संग्रह उपहार में दिये गये, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है। उपहार में दी गई वस्तुओं में कश्मीर के केसर, पेको दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय, अराकू कॉफी, कश्मीरी पश्मीना शॉल, सुंदरबन मल्टीफ्लोरा मैंग्रोव शहद और उत्तर प्रदेश के कन्नौज के जिघराना इत्र शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ उपहार देश के कुशल कारीगरों द्वारा सावधानीपूर्वक हाथ से तैयार किए गए थे। राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम में नौ से दस सितंबर तक जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित विश्व के कई अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था।
अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार ने विभिन्न देशों से आए नेताओं को हस्तनिर्मित कलाकृतियों और उत्पादों के विशेष रूप से तैयार संग्रह उपहार में दिये, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में बताता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- "उन्हें उपहार में दिए गए कुछ उत्पाद सदियों पुरानी परंपरा के हैं और अपनी अद्वितीय कारीगरी और गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं।"
दरअसल कश्मीर में पैदा होने वाला केसर दुनिया का सबसे विदेशी और महंगा मसाला है। सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं में केसर को उसके अद्वितीय पाक और औषधीय महत्व के लिए जाना जाता है। वहीं बात अगर शीशम की लकड़ी के संदूक की करें तो भारतीय घरों में परंपरागत रूप से यह लकड़ी का बॉक्स शोभा बढ़ाता रहा है। इसमें मूल्यवान चीजें रखी जाती हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन में आए सभी विदेशी मेहमानों को दार्जिलिंग और नीलगिरि की चाय भी उपहार में दी गई है। दार्जिलिंग की चाय दुनिया की सबसे मूल्यवान चाय है। 3000-5000 फीट की ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल की धुंध भरी पहाड़ियों पर स्थित झाड़ियों से केवल कोमल अंकुर (पत्ते) ही चुने जाते हैं। उसी तरह से नीलगिरि चाय दक्षिण भारत की सबसे शानदार पर्वत श्रृंखला से आती है। वहीं सुंदरबन का शहद बाकी की तुलना में कम चिपचिपा होता है। 100 प्रतिशत प्राकृतिक यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक होता है।