आज के समय में बहुत सी एेसी महिलाएं है जो हैल्थ प्रॉब्लम के कारण मां नहीं बन पाती। उनके लिए सरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है। सरोगेसी एक एेसा माध्यम है जिससे हर कोई माता-पिता बनने का सुख पा सकता है। सरोगेसी एक महिला और दंपति के बीच का एक एग्रीमेंट होता है, जो अपना खुद का बच्चा चाहता है। सामान्य शब्दों में अगर कहे तो सरोगेसी का मतलब है कि बच्चे के जन्म तक एक महिला की ‘किराए की कोख’।
एक सरोगेट महिलाएं डिलीवरी होने के बाद 3 से 3.5 लाख लेती हैं। इसके साथ ही माता-पिता को सरोगेट मदर को हर महीने 15,000 रूपए देने पड़ते हैं।
दो तरह की होती है सरोगेसी
1. ट्रैडिशनल सरोगेसी
इस प्रक्रिया में बच्चे के पिता के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणुओं के साथ मिला जाता है। इसमें बच्चा जैनेटिक संबंध सिर्फ उसके पिता के साथ ही होता है।
2. जेस्टेंशनल सरोगेसी
इस में मां-बाप दोनों के अंडाणु व शुक्राणुओं को परखनली से सरोगेट मदर की बच्चेदानी में डाला जाता है। इस विधि में बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों के साथ होता होता।
सरोगेट मदर मिशा सिंगल मदर है वह अपने भाई के साथ रहती है। मेरे दो बच्चे हैं। वह अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी परवरिश देना और अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती थी। मिशा कहती हैं 'बच्चों को पढ़ाने और अच्छा भविष्य देने के लिए गर्भ किराए पर देने का यह फैसला बहुत अच्छा था। एेसा करने से मेरे बच्चे अच्छा जीवन जी रहे हैं और मेरी वजह से एक परिवार पुरा हो गया'।
कंचन एक अन्य सरोगेट कहती है,' मेरे पति के पास नौकरी नहीं है। जो भी पैसे मुझे सरोगेसी से मिलेगे मैं उससे अपने पति के लिए एक ऑटो खरीदूंगी।
चार महीने की गर्भवती सरोगेट मदर मीरा कहती है ,'मैं हमेशा अपना घर चाहती थी। मगर हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि घर बनवा सकू। अब मैं इन पैसों का इस्तेमाल घर बनवाने के लिए करूंगी। यह बच्चा मुझे वह देगी जो मैं हमेशा चाहता थी'।
फैशन, ब्यूटी या हैल्थ महिलाओं से जुड़ी हर जानकारी के लिए इंस्टाल करें NARI APP