साल के पहले महीने में लोहड़ी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर पंजाबी समुदाय के लोग इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन आजकल कुछ दूसरे समुदाय के लोग भी लोहड़ी का त्योहार मनाने लग गए हैं। यह त्योहार मुख्य तौर पर प्रकृति और कृषि को समर्पित होता है। लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी की कहानी के बिना अधूरा है। लेकिन यह त्योहार इस बार कब मनाया जाएगा आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचागों की मानें तो इस बार सूर्य 14 जनवरी की रात 8.21 मिनट पर मकर राशि में जाएगा, ऐसे में मकर संक्राति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा वहीं लोहड़ी का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। लोहड़ी का शुभ मुहूर्त रात 08.57 तक रहेगा।
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का त्योहार साल की सबसे लंबी रात वाले दिन मनाया जाता है। इसके बाद से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। किसानों में भी इस त्योहार को बहुत ही महत्व होता है क्योंकि इसके बाद मौसम अनुकूल रहता है और फसलें भी अच्छी रहने लगती हैं। इन दिन लोग नए कपड़े पहनकर, ढोल की धुन पर लोक नृत्य भांगड़ा करते हैं। महिलाएं लोहड़ी के गीत गाती हैं। लोहड़ी के त्योहार के दौरान आग जलाई जाती है इस आग में खील, रेवड़ियां, बताशे और मूंगफली डाली जाती है। बाद में इसे प्रसाद के रुप में भी खाया जाता है। इसके अलावा लोग आग के चारों और घूमते और नाचते हुए त्योहार का आनंद लेते हैं।
इस कहानी के बिना अधूरा है त्योहार
लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी की कहानी के बिना अधूरा है। इस दिन मुख्य तौर पर दुल्ला भट्टी कहानी सुनाई जाती है। इस कहानी के पीछे एक पुरानी कथा है ऐसा माना जाता है कि मुगल साम्राज्य में जब अकबर का शासन था तो उस दौरान दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक था । एक बार कुछ अमीर व्यापारी सामान के बदले में इलाके की युवतियों का सौदा कर रहे थे इस घटना को दुल्ला भट्टी ने देख लिया। दुल्ला भट्टी ने पहुंचकर लड़कियों को व्यापारियों के कब्जे से आजाद करवाया। सिर्फ आजाद नहीं दुल्ला भट्टी ने सभी लड़कियों की शादी भी करवाई। इस घटना के बाद दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से नवाजा गया । इसी याद में लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है।