क्या आपको पता है कि हर साल कितने जानवरों को उनकी स्किन के लिए मारा जाता है ?कंगारू से लेकर मगरमच्छ तक इन जानवरों को कुछ लोगों के शोक के लिए यूं ही जान गंवानी पड़ती है। यही-नहीं चमड़े को बनाने के लिए बहुत सारा टाइम, पैसा और ऊर्जा लगती है जो शायद हर किसी के बस की बात नहीं है। फिर भी इस चमड़े के व्यापार में कोई गिरावट नहीं देखी जाती है। उल्टा यह बढ़ता ही जा रहा है।
चमड़े से होता है वातावरण पर भी असर
चमड़े के व्यापार से सिर्फ जानवरों को दुख का सामना नहीं करना पड़ता बल्कि वातावरण में भी बहुत-सा प्रदूषण उत्पन्न होता है। आस-पास के मौहोल को तो यह ख़राब करता ही है साथ में कई लोगों को बीमारियां भी तोहफे में देता है। यही-नहीं जब इस चमड़े का उपयोग खत्म हो जाए तो इसे गलाना भी आसान नहीं है। अगर इसे जलाया जाए तो यह अलग-अलग धुंए को वातावरण में छोड़ता है जिससे जान जाने का भी खतरा है।
आर्टिफिशियल चमड़ा भी पहुंचाता है नुकसान
कई केमिकल्स का उपयोग भी किया जाता है जो वातावरण में मौजूद पानी को भी नष्ट कर रहे है। अब ऐसे में आर्टिफिशियल चमड़ा भी नुक्सान पहुंचाने वाला ही है। क्योंकि यह polyurethane (PU) का बना होता है। अब इतनी सारी परेशानियों को देखते हुए फैशन वर्ल्ड में एक सोल्यूशन आया है। यह सुझाव बहुत से लोगों के लिए लाभकारी साबित होने वाला है।
सारी परेशानियों का एक हल 'वीगन चमड़ा'
दरअसल, दो लड़को ने लोपेज़ वेलार्डे और मार्टे कैजारेज़ ने 'वीगन चमड़े' का आविष्कार किया है। यह चमड़ा कैक्टस के पत्तों से बनाया गया है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह नपल (कांटेदार-नाशपाती प्रकार) कैक्टस से लिया गया है। इसका मतलब है कि इसपर कोई केमिकल्स का इस्तेमाल करने की कोई जरुरत नहीं है।
नार्मल चमड़े जैसा ही दिखता है Desserto
इस तरह के चमड़े बहुत से चीजों से बनाए जा सकते है। जैसे-कूड़ा कचरा, अनानास के पत्ते और रीसायकल हुआ प्लास्टीक। अगर इनकी रेट की बात करें तो इनका मूल्य भी एनिमल से लिए हुए चमड़े जितना ही है। बतादें की इस कंपनी (Adriano Di Marti) ने इन वीगन चमड़े को Desserto नाम दिया है। सबसे बड़ी बात यह चमड़े नार्मल चमड़े की ही तरह दिखते है। इससे तो यही कहा जाएगा कि अब कोई जानवर उसके चमड़े की वजह से नहीं मरेगा।
Image credit: Desserto