बच्चों में कुपोषण की समस्या हर वक्त बनी रहती है। हर साल हजारों बच्चे इस गंभीर समस्या की चपेट में आ जाते हैं। हालांकि सरकार कुपोषण की समस्या को खत्म करने के लिए निरंतर प्रयास करती है, लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी जरूरत रहती है जिसकी वजह से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।
बच्चों को कुपोषण से बचा सकती है शिक्षित मां
एक शोध में पाया गया है कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए परिवार की सामाजिक, आर्थिक परिस्थिति से महत्वपूर्ण एक मां का शिक्षित होना जरूरी है। बच्चा कुपोषण का शिकार न हो इसके लिए भोजन की गुणवत्ता एवं आहार की मात्रा पर ध्यान देना जरूरी माना जाता है लेकिन एक नए अध्ययन में पता चला है कि बच्चों को पर्याप्त पोषण और पौष्टिक आहार देने में शिक्षित मां की भूमिका परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है।
कुपोषण का कारण है गलत डाइट
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि पारिवारिक आय एवं मां के शैक्षणिक स्तर का सीधा असर बच्चों को दिए जाने वाले पोषण की मात्रा और आहार विविधता पर पड़ता है। बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में विविधता बहुत कम पाई गई है। जबकि, आहार की अपर्याप्त मात्रा का प्रतिशत ज्यादा देखा गया है।
पौष्टिक आहार देना जरूरी
शिशु आहार में कद्दू, गाजर हरी पत्तेदार सब्जियां, मांस, मछली, फलियां और मेवे जैसे पोषण युक्त आहार पर्याप्त मात्रा में शामिल करने में मां के शैक्षणिक स्तर का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जबकि घरेलू आर्थिक स्थिति का संबंध दुग्ध उत्पादों के उपभोग पर अधिक देखा गया है।
शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 4 के आंकड़ों के आधार पर 6 से 23 माह के लगभग 74 हजार बच्चों में भोजन सामग्री के उपयोग और आहार विविधता का आकलन किया है। अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सुतपा अग्रवाल का कहना है कि केवल मां या अभिभावकों की शिक्षा का स्तर ही बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
भारत में कुपोषण की स्थिति को देखते हुए व्यापक रुप से जागरुकता अभियान चलाकर आहार और पोषक तत्वों से संबंधित सटीक जानकारी देना अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। साथ ही बच्चों में पोष्टिक भोजन के उपभोग और विविधातापूर्ण आहार सेवन में सुधार के लिए बनाए गए मॉडलों को सार्वभैमिक रूप से लागू किए जाने की जरूरत है।