नारी डेस्कः लिवर, शरीर के बाकी अंगों की तरह जीवित रहने के लिए यह अंग भी बहुत जरूरी है। लिवर खराब हो जाए तो सबकुछ गड़बड़ा जाता है। बिगड़ते लाइफस्टाइल के चलते लिवर की प्रॉब्लम्स भी बढ़ रही है। फैटी लिवर, लिवर इंफेक्शन, लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) जैसी कई समस्याएं तो अब आम ही सुनने को मिल रही है। फैटी लिवर और लिवर की इंफेक्शन तो सही समय पर इलाज से ठीक की जा सकती है लेकिन लिवर सिरोसिस काफी जानलेवा हो सकता है इसलिए सिरोसिस के लक्षणों की अनदेखी करना ही मरीज की सबसे बड़ी गलती होगी। चलिए आज लिवर सिरोसिस की समस्या के कारण,लक्षण और इलाज के बारे में बताते हैं।
लिवर सिरोसिस क्या है? | Liver Cirrhosis Kya hai
लिवर सिरोसिस एक ऐसी चिकित्सा स्थिति है जिसमें जिगर (लिवर) की कोशिकाओं में स्थायी क्षति और निशान बन जाते हैं। सिरोसिस, लिवर में होने वाला घाव (फाइब्रोसिस) है जो लंबे समय तक लिवर को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। घाव के कारण लीवर ठीक से काम नहीं कर पाता। इसे अंतिम चरण का यकृत रोग कहा जाता है। सिरोसिस के दौरान, लिवर सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता जिसके चलते कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं शुरू होने लगती हैं। अगर सिरोसिस का इलाज ना हो तो लिवर फेल (Liver Failure) हो सकता है क्योंकि इस स्टेज को लिवर डैमेज की आखिरी स्टेज भी कहा जाता है। उपचार से सिरोसिस को और अधिक खराब होने से रोका जा सकता है।
निशान बनना: इसके चलते लिवर में निशान बन जाते हैं। ऐसा तब होता है जब लिवर की कोशिकाओं में सूजन और नुकसान पहुंचता है। इस निशान को (फाइब्रोसिस) कहते हैं।
सामान्य कार्य बंद होना: लिवर बहुत से महत्वपूर्ण कार्य करता है, जैसे टॉक्सिंस को बाहर निकालना, पाचन के लिए पित्त का निर्माण करना और खून में पोषक तत्वों का बैलेंस बनाए रखना लेकिन जब सिरोसिस होता है तो ये सारे कार्य प्रभावित होते हैं।
लिवर सिरोसिस के लक्षण| Liver Cirrhosis symptoms in Hindi
लिवर सिरोसिस होने पर मरीज के शरीर में बीमारी के लक्षण कम या बिलकुल भी नहीं हो सकते हैं। कुछ सामान्य संकेत हैं जो लिवर सिरोसिस से जुड़े हो सकते हैं। जैसेः
बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी होना
स्किन पर खुजली होना
पेट में तरल पदार्थ का जमा होना
आसानी से जख्म होना और खून बहना
स्किन और आंखों में पीलापन या पीलिया होना
भूख ना लगना, जी मिचलाना, पैरों में सूजन,वजन घटना
भ्रम, नींद ना आना और अस्पष्ट वाणी (लिवर एन्सेफैलोपैथी)
त्वचा पर मकड़ी जैसी रक्त वाहिकाएं
हथेलियों में लालिमा बनी होना
अगर सिरोसिस बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो ये लक्षण दिखने लगते हैं ...
त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीलापन पड़ना (पीलिया)
खून की उल्टी
गहरे रंग का यूरिन और मल का रंग काला होना
आसानी से खून बहना या चोट लगना
तरल पदार्थ के जमा होने से पैरों में सूजन (एडिमा) या पेट में सूजन जिसमें पेट में पानी भर जाता है।
यौन संबंधों की इच्छा नहीं रहती।
लिवर सिरोसिस होने के कारण | Liver Cirrhosis causes in hindi
लिवर सिरोसिस होने के बहुत से कारण हो सकते हैं जिसमें शराब का बहुत अधिक सेवन, ऑयली खाना, बहुत तरह की दवाइयों का सेवन, वायरस, वायरल हेपेटाइटिस (B और C), लम्बे समय तक हेपेटाइटिस से संक्रमित रहना, क्रोनिक पित्त रोग, मोटापा और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, ऑटोइम्यून रोग शामिल हैं जिसमे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर पर हमला करती है। बता दें कि गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) भी गंभीर रोग है जिसे गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस कहा जाता है, जहां ज्यादा फैट से लीवर में सूजन हो जाती है। बहुत ज़्यादा शराब पीने से लीवर को नुकसान पहुंचता है। समय के साथ, इससे शराब से जुड़ी लीवर की बीमारी हो सकती है।
वायरल हेपेटाइटिस (हेपेटाइटिस बी और सी): जब कोई वायरस हेपेटोसाइट्स को नुकसान पहुंचाता है तो सूजन वाली कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं, जिससे अत्यधिक मेटाबोलाइट्स के निर्माण में वृद्धि हो सकती है। विषाक्त मेटाबोलाइट्स का बढ़ा हुआ स्तर हेपेटिक स्टेलेट कोशिकाओं को एक्टिव करता है, जो एक रक्षा या प्रतिपूरक तंत्र के रूप में असामान्य रूप से उच्च बाह्य कोशिकीय मैट्रिक्स का निर्माण करता है। बाह्यकोशिकीय मैट्रिक्स की वृद्धि फाइब्रोसिस का कारण बनता है और यदि यह बना रहता है तो लिवर सिरोसिस हो जाता है।
अल्कोहलिक लिवर रोग (एएलडी): लिवर सिरोसिस और लिवर विफलता के सामान्य कारणों में से एक है। इसमें एल्कोहल का अधिक सेवन लिवर सिरोसिस का कारण बन जाता है।
नॉनअल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) / नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH): नॉनअल्कोहलिक फैटी लिवर रोग, ब्लड प्रैशर से जुड़े रोग, टाइप 1 डायबिटीज, डिस्लिपिडेमिया और हाई ब्लड प्रैशर के लिए हेपेटो-मेटाबोलिक सिंड्रोम, लिवर सोरासिस के जोखिम बढ़ा देते हैं।
लिवर सिरोसिस होने के बाद| Liver Cirrhosis complications in hindi
लिवर सिरोसिस होने के बाद पीड़ित की जान जोखिम में पड़ जाती है क्योंकि इससे शरीर में एक नहीं कई तरह की समस्याएं होने शुरू हो सकती है जैसे:
ब्लड प्रैशर बढ़ना
एडिमा (पैरों और पेट में सूजन)।
पेट में पानी भर जाना।
मरीज को कोई भी इंफेक्शन जल्दी हो जाना। (डब्ल्यूबीसी कम होने के कारण मरीज आसानी से संक्रमित हो जाता है)।
स्प्लेनोमेगाली (प्लीहा का बढ़ना और लिम्फोसाइटों का कम होना)।
खून का स्त्राव (हाई ब्लड प्रैशर, नसों में दबाव बनाता है जो फट सकता है और खून बह सकता है)।
कुपोषण होना क्योंकि भूख नहीं लगती।
पीलिया (रक्त में पित्त के स्तर में वृद्धि, जिससे त्वचा पीली पड़ जाती है)।
हड्डी रोग (सिरोथिक रोगियों की हड्डी की ताकत कम हो सकती है और इसलिए फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है)।
लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
लिवर सिरोसिस में रिस्क फैक्टर Risk factors of Liver Cirrhosis in hindi
ऐसे कई जोखिम कारक हैं जो लिवर सिरोसिस की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जैसे: शराब, वायरल हेपेटाइटिस, डायबिटीज, अस्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), कुपोषण आदि।
शराब की लत: एक अध्ययन के मुताबिक, लंबे समय तक रुक-रुक कर शराब पीना कम हानिकारक होता है क्योंकि इससे लिवर को ठीक होने का मौका मिल जाता है। वहीं सप्ताह में 1-7 पेय पीने वाले व्यक्तियों में प्रति सप्ताह सात से अधिक पेय पीने वाले व्यक्तियों की तुलना में लिवर सिरोसिस होने की संभावना कम होती है।
वायरल हेपेटाइटिस: एक ही सुई से इंजेक्शन लगाना और असुरक्षित यौन संबंध वायरल हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है। लंबे समय तक शराब पीने वाले व्यक्ति में समवर्ती वायरल संक्रमण के कारण बहुत कम शराब पीने (20-50 ग्राम/दिन) पर भी अल्कोहलिक लिवर की बीमारी का विकास होता है।
डायबिटीज: लगभग 30% सिरोसिस वाले व्यक्तियों को डायबिटीज होती है, जिसके चलते इन रोगियों की मृत्यु दर बढ़ जाती है। टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में लिवर सिरोसिस का खतरा अधिक होता है, यहां तक कि स्वस्थ बीएमआई वाले रोगियों में भी।
अस्वास्थ्यकर बीएमआई (अधिक वजन 25- <30 और मोटापा ≥30): नॉनअल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) एक लिवर की स्थिति है जिसमें सूजन के साथ या बिना सूजन (नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस या NASH) के लिवर में फैट बढ़ जाता है। यूरोपीय और अमेरिकी शोध के मुताबिक, एनएएफएलडी 3-30% आबादी को प्रभावित करता है।
लंबे समय तक रहने वाला मोटापा: फाइब्रोसिस, अंततः लिवर सिरोसिस और अंततः लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रैशर और हाइपरट्राइग्लिसराइडिमिया सभी एनएएसएच और फाइब्रोसिस के विकास से जुड़े हुए हैं।
कुपोषण: प्रोटीन और विटामिन्स का कुपोषण, लिवर सिरोसिस की समस्या को बढ़ा देता है। पुरानी शराब पीने और खान-पान की बिगड़ी आदतें। एल्कोहल का अधिक सेवन करने वालों में कुपोषण में योगदान देने वाले अतिरिक्त कारक क्रोनिक गैस्ट्रिटिस और अग्नाशयशोथ हैं। पुरानी शराब की लत में शरीर को मिलने वाले सारे पोषण तत्व भी नष्ट हो जाते हैं।
लिवर सिरोसिस का इलाज क्या है? | Liver Cirrhosis Ka Ilaj
ऐसा होने का संदेह होगा तो डाक्टर कई तरह की जांच कर सकता है। जैसे खून टेस्ट, स्कैन, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई या ट्रांजिएंट इलास्टोग्राफी स्कैन। इसके अलावा यकृत बायोप्सी , जिसमें एक महीन सुई का उपयोग करके यकृत कोशिकाओं का नमूना निकाला जाता है ताकि उन्हें माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जा सके। यदि टेस्ट में सिरोसिस आए तो विशेषज्ञ डॉक्टर (हेपेटोलॉजिस्ट) के पास भेजा जाना चाहिए।
सिरोसिस का उपचार
फिलहाल लिवर सिरोसिस का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और इसके बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है। जैसे उदाहरण के लिए, हेपेटाइटिस सी के उपचार के लिए एंटी-वायरल दवाओं का उपयोग करने से सिरोसिस को और अधिक खराब होने से रोका जा सकता है। एल्कोहल का सेवन बिलकुल बंद करने से और अगर आपका वजन अधिक है तो इसे कंट्रोल में करने की सलाह दी जा सकती है। अगर लिवर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है तो लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प हो सकता है।
लिवर सिरोसिस से बचाव कैसे? | Prevention of Liver Cirrhosis in hindi
लिवर सिरोसिस से पूरी तरह बचने के लिए रोगी स्वयं ही खुद की देखभाल कर सकते हैं और इसे तीन भागों में बांट सकती है।
हैल्दी लाइफस्टाइल
लिवर रोग से जुड़ी रूटीन चैकअप
पूरी देखभाल
हैल्दी लाइफस्टाइल
हैल्दी लाइफस्टाइल लिवर को सही ढंग से कार्य करने में मदद करती है। हैल्दी खाएं, वजन को कंट्रोल में रखें और रैगुलर एक्सरसाइज करें। इसके अलावा, शराब से परहेज़ बहुत जरूरी है।
लिवर रोग से जुड़ी रूटीन चैकअप
लिवर सोरायसिस में स्क्रीनिंग आवश्यक है।स्क्रीनिंग में लिवर फंक्शन टेस्ट शामिल हो सकता है इसमें पता चलता है कि आपका लिवर कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है।
पूरी देखभाल करें
लिवर से जुड़ी दिक्कत वाले मरीज अपने डॉक्टर के आदेशों का पालन करें और अगर आपको किसी तरह की दिक्कत या चिंता है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। अगर सही देखभाल हो तो क्रोनिक लिवर सिरोसिस विकसित होने की संभावना कम हो जाती है।
शराब का सेवन सीमित करें
शराब का सेवन कम करें। अगर आपको शराब से संबंधित सिरोसिस है तो तुरंत शराब पीना बंद कर दें। शराब पीने से सिरोसिस बढ़ने की दर बढ़ जाती है।
हेपेटाइटिस से खुद को बचाएं
हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के कारण यकृत में होने वाले संक्रमण हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस रक्त और शरीर के तरल पदार्थों में फैलता है। टाइटिस सी वायरस आमतौर पर रक्त में फैलता है। इन विषाणुओं को फैलाने के सामान्य तरीकों में संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध ना बनाना या संक्रमित व्यक्ति के खून के साथ निकट संपर्क, जैसे कि उनके टूथब्रश को साझा करना या इंजेक्शन के लिए सुइयों का इस्तेमाल ना करें। हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण एनएचएस बचपन टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। यह टीका उन सभी लोगों के लिए भी उपलब्ध है जिन्हें हेपेटाइटिस बी होने की अधिक संभावना है। फिलहाल हेपेटाइटिस सी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
याद रखें ये बातें
सिरोसिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इसके प्रबंधन के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि शराब से परहेज़, स्वस्थ आहार, और चिकित्सकीय उपचार। समय पर निदान और उचित देखभाल से लिवर की स्थिति को स्थिर रखा जा सकता है।