हिंदू धर्म में नौ देवीयों की पूजा आराधना करने का विधान हैं जिसमें से एक मां काली है। कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी पर भद्रकाली जयंती मनाई जाती है, जो इस बार 15 मई को आ रही है। माना जाता है कि भद्रकाली जयंती के दिन देवी की पूजा करने पर वह भक्तों की रक्षा करती हैं। इस जयंती को कुछ राज्यों में अपरा एकादशी के रूप में मनाया जाता है और उड़ीसा में इसे जलक्रीड़ा एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
भद्रकाली जयंती को होती है खास पूजा
भारत के विभिन्न हिस्सों में देवी भद्रकाली के विभिन्न मंदिर हैं। भद्रकाली जयंती हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा का दिन है। कहा जाता है कि देवी शक्ति के 'अवतरण' का मुख्य कारण पृथ्वी से सभी राक्षसों को नष्ट करना था। शास्त्रों में मां के इस रूप को धारण करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है, आज हम ऐसी ही कथा के बारे में बताने जा रहे है, जिसमें बताया गया है कि मां काली का जन्म किस तरह हुआ था।
देेवताओं ने भगवान शिव से मांगी थी मदद
शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में बहुत ही शक्तिशली असरु था जिसका नाम दारुण था। उसे वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी पुरुष के नहीं बल्कि एक स्त्री के हाथों से होगी। उसके अत्याचार से सभी देवतागण दुखी थी। इस परेशानी से निजात पाने के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने इस समस्या का निदान करने के लिए स्त्री का रूप धारण किया लेकिन दारुण उनके हाथ में नहीं आया। इसके बाद सभी देवतागण ब्रह्मा जी के साथ शिव के पास गए और उनसे मदद मांगी।
देवी का रूप देखकर डर गए थे देवता
भगवान शिव ने उनकी बात सुन मां पार्वती की ओर देखा और कहा हे कल्याणी जगत के हित के लिए और दुष्ट दारुक के वध के लिए में तुमसे प्रार्थना करता हूं। यह सुन मां पार्वती मुस्कराई और अपने एक अंश को भगवान शिव में प्रवेश कराया। यह अंश देखते ही देखते शिव के नीलकंठ से होते हुए उनके शरीर में प्रवेश कर गया। फिर शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला। उनकी तीसरी आंख खुली और उससे एक शक्ति बाहर आई। यह देख सभी देव भयभीत हो गए।
मां काली का क्रोध नहीं हुआ शांत
यह शक्ति एक विशाल और रौद्र में थी। शक्ति का रंग काला गहरा और जुबान लाल थी, उनके चेहरे पर तेज ऐसा था की मानो आग हो। माथे पर तीसरा नेत्र भी था। जन्म के कुछ देर बाद ही मां काली ने दारुण और उसके सभी साथियों का विनाश किया था। उन सभी का नाश करने के बाद भी मां काली का क्रोध शांत नहीं हुआ। ऐसे में उनका शिव ने एक बच्चे का रूप धारण किया और मां काली के सामने आ गए। उन्हें देखते ही मां काली का क्रोध पूरी तरह से शांत हो गया।
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