हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि चैत्र या वसंत के महीने में मनाई जाती है, जो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। दूसरी बार इसे आश्विन मास में शरद नवरात्रि के नाम से मनाया जाता है, जिसे महा नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि पर्व देवी दुर्गा को समर्पित है इसलिए इस दौरान नव दुर्गा के 9 अलग-अलग दिव्य रूपों की पूजा की जाती है। दुनिया भर में लोग इन दिनों के दौरान पूजा करते हैं क्योंकि ये पूजा के लिए सबसे शुभ और शक्तिशाली दिन माने जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि कब से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि पर्व और शुभ मुहूर्त से लेकर सबकुछ।
कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि?
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, चैत्र पहला महीना है और इस महीने के पहले दिन को हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि भारत में सर्दियों के मौसम की समाप्ति और गर्मियों की शुरुआत है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल, 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 11 अप्रैल, 2022 (सोमवार) को समाप्त होगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि उत्सव के लिए, घटस्थापना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो दोनों नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है। घटस्थापना दोनों नवरात्रों के दौरान किया जाता है चाहे वह चैत्र नवरात्रि हो या शरद नवरात्रि।
चैत्र घटस्थापना - शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
अवधि - 02 घंटे 21 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 12 बजे से 12:50 मिनट तक
(घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है)
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01, 2022 को 11:53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अप्रैल 02, 2022 को 11:58 मिनट तक
नवरात्रि की पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट
चूंकि नवरात्रि का समय नजदीक ही है इसलिए आप भी अभी से पूजन की सामग्री इकट्ठी करना शुरू कर दें क्योंकि घटस्थापना के लिए कई तरह की चीजों की जरूरत पड़ती है। दुर्गा पूजा के लिए आपको आम के पत्ते, चावल, मौली, गंगाजल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ, गुलाल, लौंग, इलायची, 5 पान, सुपारी, मिट्टी का बर्तन, फूल, श्रृंगार का सामान, चौकी, आसान, कमलगट्टा चाहिए होगा।
घटस्थापना की सामग्री
वहीं, कलश स्थापना के लिए 7 तरह का अनाज, मिट्टी का बर्तन, कलश, गंगाजल, मौली, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, नारियल, लाल सूत्र, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा और फूल चाहिए होंगे।
कलश स्थापना पूजन विधि
कलश स्थापना नवरात्रि के एक दिन पहले की जाती है। इसके लिए मंदिर की अच्छी तरह सफाई करके लाल कपड़ा बिछाए। उसके ऊपर थोड़े से चावल और उसपर मिट्टी का बर्तन रखकर जौ बोएं। अब इस पात्र में पानी से भरा कलश रख दें और उसपर मौली बांधे। इसके अलावा कलश में सुपारी, सिक्का, अक्षत, पत्ते और उसके ऊपर चुनरी लपेटकर एक नारियल रखकर कलावा बांध लें। इसके बाद मां दुर्गा का आवाहन करें और दीप जलाकर पूजा करें।