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क्या आप भी अंधाधुंध ले रहे हैं Antibiotic दवाएं ? साइड इफेक्ट्स जान के उड़ जाएंगे होश!

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 16 Dec, 2022 11:31 AM
क्या आप भी अंधाधुंध ले रहे हैं Antibiotic दवाएं ? साइड इफेक्ट्स जान के उड़ जाएंगे होश!

एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया के संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं। जिनसे शरीर में नुकसान पहंचाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। कुछ बैक्टीरिया के लिए खास एंटीबायोटिक होते हैं। ये एंटीबायोटिक दवाएं अन्य बैक्टीरिया, वायरल या फंगल संक्रमण के खिलाफ काम नहीं करती है। दूसरी दवाओं की तरह एंटीबायोटिक्स के भी शरीर पर कुछ बुरे असर होते हैं। इन्हें जरुरत और सही मात्रा में लेना जरुरी होता है। इस मात्रा का निर्धारण किडनी और लिवर पर पड़ने वाले असर को देखते हुए किया जाता है। गंभीर संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक्स देना जरुरी हो जाता है और इसमें देरी होना सेहत पर जोखिम को बढ़ा देता है। बावजूद एंटीबायोटिक डॉक्टर के परामर्श से ही लेना जरुरी है। 

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डॉक्टर के परामर्श के बिना एंटीबायोटिक दवाएं लेने नहीं है खतरे से खाली

डॉक्टर के परामर्श के बिना एंटीबायोटिक दवाई लेने के कारण शरीर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस विकसित होने लगता है। डब्लयूएचओ (WHO)  के त्थयों के अनुसार वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, गैर संचारी रोग, एचआईवी आदि समेत एंटीबायोटिक्स का ज्यादा सेवन सेहत की दस प्रमुख समस्याओं में से एक है। 2050 तक इस समस्या के कारण दुनिया में हर साल एक करोड़ लोगों की मौत का अनुमान है। एंटीबायोटिक दवाओं का बहुत इस्तेमाल करने से उपयोगी बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं। साथ ही डायरिया, पाचन और आंतों से जुड़ी दूसरी समस्याओं को जोखिम बढ़ जाता है। बिना डॉक्टर की सलाह खुद से एंटीबायोटिक की गलत मात्रा का सेवन करते रहना, बीमारी बढ़ाने लगता है। हर दवा के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। दवा लिखते समय डॉक्टर इनका ध्यान रखते हैं और साइड इफेक्ट्स को कम करने की दवा भी देते हैं।  एक बार शरीर में एंटीबायोटिक का रेजिस्टेंस हो जाता है, तब दवाएं काम नहीं करती, साथ ही शरीर में हानि पहुंचाने वाले बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं। ऐसे में संक्रमण कम करने की जगह  दवा लेने पर संक्रमण बढ़ने लगता है।

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गांठ बांध लें ये बातें

हर इंसान के लिए इलाज और दवा की मात्रा अलग होती है। यह एंटीबायोटिक संक्रमण और उम्र से भी तय होता है। डायरिया, उल्टी, मतली, चकत्ते, सांस लेने में कठिनाई और चक्कर आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।

दीर्घकालिक असर:  जिस सक्रंमण के लिए दवाई बार-बार ली जाती है, वो बार-बार होने लगता है। इसके अलावा बिना सलाह दवाएं लेने से बोन मैरो, जिनकी रक्त कोशिकाओं और फ्लेटलटे्स बनाने में खास भूमिका होती है, उस पर बुरा असर पड़ता है। इससे डायरिया हो सकता है।

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जरुरी क्या है: परिवार में किसी भी सदस्य का जीवन अनावश्यक एंटीबायोटिक्स का सेवन करके खतरे में ना डालें। इससे दूसरे सदस्यों में भी गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ता है। 

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