वैसे तो हर महीने में एक यानि पूरे साल में 12 पूर्णिमा आती है लेकिन अधिकमास या मलमास आने पर इनकी संख्या बढ़कर 14 हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अलग महत्व है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान भी कहा जाता है जो इस बार 30 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इस दिन गंगा में स्नान करने का भी काफी महत्व है। कुछ जगहों पर तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली भी मनाई जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा आरंभ - 29 नवंबर, 2020 रात 12: 47 मिनट
कार्तिक पूर्णिमा समाप्त - 30 नवंबर, 2020 रात 02: 59 मिनट तक
गंगा स्नान और दान-पुण्य तिथि - 30 नवंबर
29 नवंबर की रात्रि में पूर्णिमा तिथि लगने और उदया तिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा मुख्य रूप से 30 नवंबर को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
मान्यता है कि जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करके गंगा स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे आपको 100 पुण्यों के बराबर फल मिलता है और सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा इससे घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों मनाई जाती है देव दीवाली
ऐसा कहा जाता है कि दीवाली के 15 दिनों बाद यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिए सभी देवतागण उत्सव मनाते हैं इसलिए इसे देव दीवाली भी कहा जाता है। यही नहीं, कार्तिक पूर्णिमा पर दीप -दान भी किया जाता है।
देवता क्यों मनाते हैं दीवाली?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु 4 महीने बाद देवउठनी एकादशी पर निद्रा से जागते हैं। इसी खुशी में सभी देवता स्वर्ग से उतरकर बनारस के घाट पर दीपों का उत्सव मनाते हैं। इसलिए बनारस के घाटों पर इस दिन दीयों की रोशनी देखने को मिलती है।
अगर आप भी पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की अराधना करने के साथ कार्तिक पूर्णिमा पर दीप दान करना ना भूलें।