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रोके 4 बाल विवाह और 130 बच्चियों को सिखाया सेल्फ डिफेंस, अब शांति पुरस्कार से नॉमिनेट नन्ही जशोदा

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 27 Oct, 2020 05:13 PM
रोके 4 बाल विवाह और 130 बच्चियों को सिखाया सेल्फ डिफेंस, अब शांति पुरस्कार से नॉमिनेट नन्ही जशोदा

भारत की बेटी 15 वर्षीय जसोदा प्रजापत का नाम अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। बता दें कि यह पुरस्कार नीदरलैंड की किड्स राइट संस्था उन बच्चों को देती है जो समाज को नई राह दिखाते हैं। साल 2020 में भारत के 17 बच्चे इस पुरस्कार के लिए नामांकित किए गए हैं, जिसमें से जशोदा भी एक हैं। इनके अलावा राजस्थान दारदा तुर्क गांव की दूसरी बच्ची वसुंधरा इसके लिए नॉमिनेट हुई है। इस पुरस्कार के रिजल्ट की घोषणा 13 नवंबर को की जाएगी।

4 बाल विवाह रोके और 130 लड़कियों को सिखाया सेल्फ डिफेंस

जशोदा ओसियां के सुदूर गांव आशापुरा में रहती हैं। बता दें कि 15 साल की जसोदा पुराने समय से चली आ रही बाल विवाह के खिलाफ लड़ रही हैं। भले ही आज समय बदल गया हो लेकिन कई जगहों पर आज भी कम उम्र में बच्चियों का विवाह कर दिया जाता है। जशोदा अब तक 4 बाल विवाह रुकवा चुकी हैं। यही नहीं, 15 साल की जशोदा उरमूल ट्रस्ट के साथ मिलकर अब तक 130 बच्चियों को सेल्फ डिफेंट की ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं। उनके इसी उल्लेखनीय काम के लिए उनका नाम इस पुरस्कार के लिए नामिनेट किया गया है।

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लड़कियों को करवाती हैं उनके हक से रूबरू

इसके अलावा वह ग्रामीण क्षेत्रों में बाल अधिकारों को लेकर भी कई काम कर चुकी हैं। साथ ही उन्होंने कई अभियानों को सफलतापूर्वक नेतृत्व भी किया है। उन्होंने छोटी बच्चियों को पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर उनके अधिकारों से रूबरू करवाया।

रह चुकी हैं बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री

उनके इस जज्बे के कारण वह ग्राम पंचायत स्तर की लड़कियों के महासंघ ‘Stop Violence against Women’ की अध्यक्ष भी चुनी गई है। जशोदा 2019, नई दिल्ली में हुए समावेशी राष्ट्रीय बाल संसद कार्यक्रम में भी हिस्सा ले चुकी हैं, जिसमें उन्हें बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। इसके अलावा जशोदा ने 10 लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया गया और 500 लड़कियों को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने पर उन्मुख किया गया।

किसान परिवार की बेटी, कुरीतियाें के खिलाफ लड़ रहीं

बता दें कि जशोदा किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं लेकिन उनके हौंसले व जज्बे काफी बड़े हैं। समाज की कुरीतियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने से लेकर दूसरी गतिविधियों में भाग लेने तक, जशोदा के माता-पिता भी उन्हें सपोर्ट करते हैं।

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आज भी पीरियड्स हैल्थ से अनजान लड़कियांः जशोदा

जशोदा का कहना है कि बहुत से परिवार आज भी पीरियड्स हैल्थ, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारों पर चर्चा नहीं करते। वहीं, लड़कियों को आज भी कई पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पढ़ाई के दौरान उन्होंने इन चीजों को देखा-समझा और गांव में उरमूल ट्रस्ट से "शादी बच्चों का खेल नहीं" क्लस्टर कार्डिनेटर संतोष ज्याणी के संपर्क में आई। इसके बाद वह चिल्ड्रन्स ग्रुप की मेंबर बनी और लड़कियों को जागरूक करना शुरू किया।

भविष्य में, जशोदा गांव स्तर की लड़कियों के फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में और बाद में ग्राम पंचायत स्तर की लड़कियों के फेडरेशन में स्वास्थ्य सचिव के रूप में निर्वाचित होना चाहती हैं। वह हर लड़की को अपने यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के बारे में जागरूक करना चाहती है। वह ग्रामीण स्तर पर लड़कियों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए उत्प्रेरक की भूमिका निभाना चाहती है।

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