भारत के पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को हमेशा कमजोर समझा जाता है। बात अगर पुलिस फील्ड की आती है तो उसमें भी महिलाओं को बड़े-बड़े नेताओं व गुंड़ो से दूर रहने को कहा जाता है। हालांकि पुलिस डिपार्टमेंट में डी रूपा मौदगिल और चारू सिन्हा जैसी महिला पुलिसकर्मी भी है जो अच्छों को नानी याद करवा चुकी हैं। उन्हीं में से एक निडर और जांबाज IPS ईशा पंत, जिनसे सिर्फ चोर, गुंडे ही नहीं बल्कि करपट नेता भी खौफ खाते हैं।
कभी नहीं चाहा था पुलिस में जाने का!
उत्तराखंड के अलमोड़ा शहर की ईशा के पिता भगवत पंत BHEL में इंजीनियर थे। ईशा उनकी चारों बेटियों में से सबसे छोटी हैं। उनकी सबसे बड़ी बहन IFS अधिकारी, दूसरी बहन मानव संसाधन और तीसरी इंडियन एयर आर्मी में स्क्वाड्रन लीडर हैं। बचपन से ही शरारती ईशा ने कभी पुलिस में जाने का सोचा भी नहीं था।उनकी बहन ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर तुम गर्वमेंट जॉब ट्राई करो तो पुलिस सेवा को सबसे नीचे रखना।
एक फोन कॉल ने बदल दिया ईशा का फैसला
एक दिन ईशा को उनकी दोस्त का फोन आया। बातों ही बातों में उसने बताया कि कैसे एक अधेड़ उम्र का आदमी लड़की के साथ छेड़छाड़ कर रहा था और लोग खड़े तमाशा देख रहे थे। लड़की ने लोगों से मदद भी मांगी लेकिए कोई आगे नहीं आया। अपनी दोस्त की बात सुनकर ईशा बैचेन हो गई और पुलिस अफसर बनकर इश गंदगी को साफ करने का फैसला लिया। फिर क्या ईशा IPS बनने की तैयारी करने लगी और 2011 में उन्होंने UPSC में ऑल इंडिया 191 रैंक से एग्जाम पास किए।
जबलपुर में चटाई गुंड़ो को धूल
एग्जाम पास करने के बाद उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी से ट्रेनिंग ली, जो हैदराबाद में है। इसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला। 1 साल की ट्रेनिंग के बाद SSP के रूप में उन्हें जबलपुर ड्यूटी के लिए भेजा गया।
जबलपुर से खत्म किया ड्रग माफिया
शुरुआत में ईशा के बड़े अधिकारी उनकी काबलियत पर भरोसा नहीं करते थे। उन्हें संदेह था कि ईशा इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभा पाएगी या नहीं। मगर, जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हरिनारायणचारी मिश्रा को उनपर पूरा भरोसा इसलिए उन्होंने ईशा को सबसे बड़े थाने ओमती का प्रभारी बना दिया। जबलपुर से स्मैक पाउडर जैसे नशीले पदार्थ को खत्म करने का क्रेडिट ईशा को ही जाती है। उन्होंने सालों पुराने ड्रग मफियाओं की जड़ें को खोदकर ड्रग्स और अवैध शराब को बंद करवाया।
जय गंगाजल फिल्म में किया गया कॉपी!
यहीं नहीं, ईशा के जांबाज कारनामों को जानने के बाद बॉलीवुड फिल्म प्रोड्यूसर प्रकाश झा भी काफी इम्प्रेस हो गए। उस वक्त वो फिल्म जय गंगाजल पर काम कर रहे थे इसलिए उन्हें लगा कि उनकी फिल्म की पुलिस ऑफिसर, जोकि बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा थी उनकी तरह होनी चाहिए। फिर क्या वह जबलपुर जाकर 4 घंटे ईशा के साथ बिताते और उन्होंने उनके हावभाव रिकॉर्ड कर प्रियंका को रोल के लिए तैयार किया।
4 दिन में झेले 2 ट्रांसफर
अपने दंबग स्वभाव से ईशा जहां भी जाती भ्रष्ट लोगों को धूल चटा देती थी। यहीं वजह है कि वह ज्यादा समय कहीं टिक नहीं पाती लेकिन हद तो तब हो गई जब उन्हें 4 दिनों में 2 बार ट्रांसफर झेलना पड़ा। बेंगलुरू दक्षिण पूर्व में DCP का पद संभाल रही ईशा को 26 फरवरी पहला ट्रांसफर ऑर्डन मिला, जिसमें उन्हें सीआईडी का SP पद संभालना था लेकिन उसके ठीक चौथे दिन उनका ट्रांसफर कैंसल कर दिया गया। कुछ देर बाद उन्हें फिर ट्रांसफर का आदेश मिला, जिसमें उन्हें डीसीपी कमांड सेंटर बनाया गया। 2016 में ईशा की शादी IAS ऑफिसर अनिरुद्ध श्रवण से हो गई, जो कर्नाटक कैडर में काम कर रही थी इसलिए ईशा को भी अपनी कैडर बदलना पड़ा।
मुश्किल को मुमकिन करती हैं ईशा
घर और ड्यूटी को एक साथ संभालना महिला पुलिस ऑफिसर के लिए बेहद मुश्किल होता है, खासकर जहां दोनों पति-पत्नी सरकारी सेवा में हो। कब कहां ट्रांसफर हो जाए कहना मुश्किल है लेकिन ईशा हर चीज को आसानी से हैंसल कर लेती हैं। ईशा के पति अनिरुद्ध भी अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझती हैं। ईशा अपने दोनो बच्चों को भी पूरा समय देती हैं।
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
2012 में ईशा को बेस्ट ऑल अराउंड इंडियन पुलिस सर्विस प्रोबेशन अवार्ड से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा भी उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं। जींस और टीशर्ट पहनने की शौकीन ईशा अपनी पसंद के कपड़े कम ही पहन पाती हैं। यही नहीं, कई बार तो वह शादी के फंक्शन में भी वर्दी पहनकर चली हैं।
ईमानदारी के साथ फर्ज निभाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन जब इरादे मजबूत हों तो हर मुश्किल छोटी पड़ जाती है, जिसका सबूत खुद ईशा है।