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छत्तीसगढ़ की 'पैड दीदी', स्कूल-कॉलेज और झुग्गियों में बांट चुकी 5 लाख नैपकिन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 13 Nov, 2020 02:57 PM
छत्तीसगढ़ की 'पैड दीदी', स्कूल-कॉलेज और झुग्गियों में बांट चुकी 5 लाख नैपकिन

हमारे समाज में आज भी कई जगहों पर पीरियड्स के बारे में खुलकर बात नहीं की जाती। यही नहीं, सैनेटरी पैड्स जैसे हैल्दी ऑप्शन मौजूद होने के बाद भी कई जगहों पर लड़कियां गंदा कपड़ा या दूसरी चीजें यूज करती हैं। ऐसी लड़कियों को पैड्स देने और उनमें जागरूकता फैलाने के लिए आगे आई छत्तीसगढ़, भिलाई की रहने वाली हरचरण कौर।

अब तक बांट चुकी हैं 5 लाख सैनिटरी पैड्स

49 साल की हरचरण कौर को लोग डिंपल के नाम से भी जानते हैं। वह ना सिर्फ लड़कियों को पीरियड्स के दौरान हाइजीन का महत्व समझाती हैं बल्कि उन्हें मुफ्त पैड्स भी बांटती हैं। पिछले 4 सालों में डिंपल अपने NGO के साथ मिलकर स्कूल, कॉलेज और झुग्गी-बस्तियों में रहने वाली लड़कियों को करीब 5 लाख सैनिटरी पैड्स बांट चुकीं है।

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अपनी एक गलती से मिली सीख

डिंपल बताती हैं कि वह खुद भी अनियमित ब्लीडिंग से परेशान रहती थीं, जिसके कारण उन्हें 7 महीने में 3 ऑपरेशन भी करवाने पड़े लेकिन फिर उन्हें अपनी लापरवाही समझ आई। इसके बाद 2014 में उन्होंने यूट्रस रिमूव करवाया जिसके 6 महीने बाद उन्हें एक ओर सर्जरी हुई।

अनियमित पीरियड्स को लेकर शिक्षित नहीं है महिलाएं

उन्होंने कहा, ''पीरियड्स से होने वाली तकलीफ को मैंने लंबे समय तक इसलिए सहा क्योंकि मेरे परिवार को इसकी अधिक जानकारी नहीं थी। फिर मैंने देखा कि शिक्षित होने के बाद भी कई महिलाएं अनियमित पीरियड्स को लेकर सतर्क नहीं है। अगर समस्या है तो सही वक्त पर डॉक्टर दिखाना जरूरी है''।

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जागरूकता फैलाने के लिए लगाती हैं कैंप

इसके बाद उन्होंने 2016 में NGO 'अनुभूति श्री फाउंडेशन' की शुरुआत करके महिलाओं को जागरूक करना शुरू किया। अब वह अपने फाउंडेशन के साथ मिलकर मध्यप्रदेश और झारखंड की झुग्गी-बस्तियों में फ्री पैड्स बांटती हैं। यहीं नहीं, महिलाओं को पीरियड्स हाइजीन के बारे में बताने के लिए वह मेडिकल कैंप भी लगाती रहती हैं।

लॉकडाउन में भी नहीं रूका मिशन

पिछले 4 सालों में वह 3 राज्यों के 40 स्कूलों में पैड्स बांट चुकी है। उनके फाउंडेशन की ब्रांच जबलपुर और जमशेदपुर में भी है। लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने अपना मिशन नहीं रोका। अपनी टीम के साथ मिलकर उन्होंने अप्रवासी मजदूर महिलाओं को 20,000 पैड्स बांटे।

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