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देश के पहला ट्रांसजेंडर पायलट बनेगा हैरी, घरवालों ने भी कभी किया था बेदखल

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 17 Oct, 2019 11:36 AM
देश के पहला ट्रांसजेंडर पायलट बनेगा हैरी, घरवालों ने भी कभी किया था बेदखल

भारत सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर को भी समाज में पूरे हक व सम्मान के साथ के रहने का अधिकार है मगर समाज में अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इन लोगों को अपनाने से इंकार करते है और उनके सपनों में रुकावट बनते हैं। इस भेदभाव व दर्द को सहने के बाद भी 20 साल के ट्रांसजेंडर एडम हैरी सबके लिए एक मिसाल बन चुके हैं। एडम हैरी को उसके घरवालों ने तो बेदखल कर दिया लेकिन वह अपने सपने की ओर बढ़ते हुए वह जल्द ही वह देश के पहले ट्रांसजेंडर कॉमर्शियल पायलट बनने वाले हैं। 

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केरल सरकार दे रही आर्थिक मदद 

हैरी के कमर्शियल पायलट बनने के सपने को पूरा करने के लिए केरल सरकार मदद कर रही हैं ताकि वह अपने कमर्शियल लाइसेंस की पढ़ाई को पूरा कर सकें। जानकारी के अनुसार 3 साल की ट्रेनिंग में लगभग 23.34 लाख रूपये का खर्च आएगा। इस समय वह तिरुवंतपुरम के राजीव गांधी एविएशन टेक्नोलाजी अकादमी से अपनी पढ़ाई कर रहें हैं। परिवार द्वारा बेदखल करने के बाद उनके पास फीस भरने के पैसे नही हैं। हैरी का उद्देश्य है कि वह अपने सपने को पूरा करें ताकि उनके जैसे बाकी लोगों भी अपने सपने पूरे करने के लिए प्रेरित हो सकें। 

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एक साल तक घरवालों ने किया था नजरबंद 

अपना कोर्स पूरा करने के बाद जब 19 साल के हैरी भारत वापिस लैटे तो उनके पेरेंट्स को उनके ट्रांसजेंडर होने के बारे में पता चला। उस समय उन्होंने एक साल तक उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया था ताकि वह घर से बाहर न निकल सकें। इस दौरान उन्हें मानसिक व शारीरिक तौर पर टॉर्चर किया गया। इसके बाद उन्होंने घर छोड़ कर अपनी नई जिदंगी शुरु करने के बारे में सोचा। घर से भागने के बाद वह एर्नाकुलम आ गए जहां पर  हैरी की मुलाकात एक ट्रांसजेंडर से हुई। उस समय उनके पास न रहने के लिए घर था न ही कुछ ओर, कई दिन वह रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर सोए। 

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रोटी के लिए जूस की दुकान पर किया काम

रोटी व पैसे कमाने के लिए उन्होंने एक जूस की दुकान पर काम किया उसके बाद कई विमानन अकादमियों में भी पार्ट टाइम काम किया। इस दौरान जब उन्हें उनके ट्रांसजेंडर होने के बारे में पता चलता तो वह कंपनी उन्हें अच्छा वेतन देने से मना कर देती थी। ऐसे में एक दिन बाल कल्याण विभाग ने उनकी सम्मानजनक नौकरी की सिफारिश की। उसके बाद वह सामाजिक न्याय विभाग के सचिव से मिले। इसके बाद उन्होंने ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड में स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया जहां उन्हें स्कॉलरशिप मिल गई व उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। 

 

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