UPSC का एग्जाम क्लियर करना तो हर किसी का सपना होता है। उच्च अधिकारी बनाने के लिए हर साल लाखों की तादाद में लोग इस एग्जाम में बैठते हैं। लेकिन ये बहुत ही कठिन एग्जाम होता है, कोचिंग और घंटों की पढ़ाई के बाद भी पहले attempt में पास करना नामुमकिन ही है। लेकिन ऐसा कर दिखाया हरियाणा की बेटी ममता यादव ने।
आईएएस बनने के लिए पास होने के बाद दोबारा दिया एग्जाम
महज 24 साल की उम्र में उन्होंने अपने पूरे गांव की पहली आईएएस अधिकारी बनाने का इतिहास रचा। बता, दें ममता 4 साल से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर कही थीं। साल 2019 में ममता ने देशभर में 556वीं रैंक हासिल की थी। उनका चयन हो गया था। उन्होंने भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के लिए ट्रेनिंग भी शुरु कर दी थी, पर उसका मन नहीं माना । उसका सपना आईएएस बनने का था। पैरेंट्स ने हौसले बढ़ाया और ममता एक बार फिर कोशिश करने लगीं। उन्होनें एक बार फिर से एग्जाम दिया और इस बार ऑल इंडिया में 5वीं रैंक हासिल करके आईएएस अधिकारी बनने में सफल रहीं।
कोचिंग के साथ सेल्फ स्टडी में भी दिया जोर
12वीं के बाद ममता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और कॉलेज खत्म होते ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। ममता ने कोचिंग के साथ सेल्फ स्टडी जैसे कई रणनीति अपनाएं। ममता ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए एनसीईआरटी और अन्य पुस्तकों भी मदद ली। मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में ममता ने कहा था कि वो 8 से 10 घंटे की पढ़ाई करती है, लेकिन कुछ न कुछ कमी रह ही जाती थी। तो उन्होंने 12 घंटे हर दिन पढ़ाना शुरु किया और फिर अपना लक्ष्य हासिल किया। जब ममता का रिजल्ट आया था और उन्हें 5वीं रैंक मिली तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया था।
बसई गांव के निवासी ममता यादव के पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जबकि मां सरोज यादव एक गृहिणी है। वहीं ममता के पिता अपनी बेटी की सफलता का सारा श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं। सबसे खास बात ये है कि वो अपने गांव की पहली लड़की है, जिसने पढ़ाई की और यूपीएससी में सफलता हासिल की है।