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ICMR स्‍टडी का दावा, आधे कोविड मरीज़ों की मौत का कारण Secondary Infection

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 29 May, 2021 01:34 PM
ICMR स्‍टडी का दावा, आधे कोविड मरीज़ों की मौत का कारण Secondary Infection

देश में आई कोरोना वायरस की दूसरी लहर से अब तक करोड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं तो वहीं लाखों लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इन सब के बीच सेकेंडरी इंफेक्शन और इससे होने वाली मौत के आंकड़ों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने हाल ही में एक नई स्टडी भी की है। इस स्टडी में  मुंबई के सायन और हिंदुजा हॉस्पिटल समेत 10 हॉस्पिटल शामिल है।

 इस स्टडी के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं का बेजा इस्‍तेमाल देश में कोविड-19 महामारी को लेकर हालात और बदतर कर सकता है। स्टडी में बताया है कि कोविड-19 के जिन रोगियों को सेकेंडरी वायरल या फंगल संक्रमण होता है, उनमें से आधे से अधिक की मौत हो जाती है। 

क्या है सेकंडरी इंफेक्‍शन?
सेकंडरी इंफेक्‍शन से मतलब है कि किसी व्‍यकित को एक इंफेक्‍शन होने के दौरान या उसके बाद दूसरा इंफेक्‍शन होना, जैसे कि अभी कोविड मरीजों में ब्‍लैक फंगस संक्रमण के मामले आ रहे हैं। 

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17 हजार कोविड मरीज़ों पर की गई यह स्टडी-
इस स्टडी में  17 हजार कोविड मरीज शामिल थे जिनमें से 4% सेकंडरी इंफेक्‍शन बैक्‍टीरियल या फंगल इंफेक्‍शन से पीड़ित थे इनमें मृत्यु दर 56.7 फीसदी के करीब पाई गई। जून से लेकर अगस्त 2020 तक आईसीयू और अन्य वार्डों में भर्ती लोगों पर यह अध्ययन किया गया।
 

ICMR की वैज्ञानिक ने दी दी यह अहम जानकारी-
इस स्‍टडी का नेतृत्व करने वाली ICMR की वैज्ञानिक कामिनी वालिया ने कहा कि यदि इन आंकड़ों को हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले सभी मरीजों की संख्‍या से लिंक करके देखें तो ऐसे कई हजार मरीज मिलेंगे जिन्‍हें इस दूसरे संक्रमण के चलते कई दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ेगा।
 

मरीज़ों को अब स्ट्रांग एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ रही है- 
स्‍टडी में यह भी कहा गया है कि सुपरबग वाले मरीजों में एंटीबायोटिक दवाओं से काम नहीं चल सकता है, बल्कि उन्‍हें बहुत शक्तिशाली एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ती है, यानी कि स्थिति ज्‍यादा मुश्किल रहती है। 
 

एंटीबायोटिक दवाओं से मायकोसिस का बढ़ा खतरा-
कई विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबायोटिक दवाओं और एंटिफंगल एजेंटों का ज्‍यादा इस्‍तेमाल मेलेनोमाइकोसिस और म्यूकोर मायकोसिस यानि कि ब्लैक फंगस  जैसे दुर्लभ इंफेक्‍शन फैलने का बड़ा खतरा हो सकता है।

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एंटीबायोटिक्स शरीर में अच्‍छे बैक्‍टीरिया को भी कर रहे हैं खत्म-
राज्‍य सरकार की कोविड-19 टास्‍क फोर्स के सदस्‍य डॉ. राहुल पंडित ने बताया कि शरीर में अच्‍छे बैक्‍टीरिया होते हैं, जो उसकी अन्‍य हानिकारक बैक्‍टीरिया से रक्षा करते हैं, लेकिन जब बिना किसी कारण के एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, तो अच्‍छे बैक्‍टीरिया भी खत्‍म हो जाते हैं और इससे बुरे बैक्‍टीरिया को शरीर पर हमला करने का मौका मिल जाता है।
 

स्ट्राग एंटीबायोटिक्‍स देने पर मरीज़ों की इम्युनिटी हो रही हैं कम
वहीं हिंदुजा अस्पताल के डॉ. खुसरव बाजन ने बताया कि दूसरी लहर में ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जो पहले ही एंटीबायोटिक्‍स ले चुके होते है। फिर हमें उन्‍हें और मजबूत एंटीबायोटिक्‍स देने पड़ते हैं। ऐसे में अस्‍पताल में ज्‍यादा दिन तक भर्ती रहने के बाद उन्‍हें और ज्‍यादा एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है और फिर उनकी इम्युनिटी बहुत कम हो जाती है, ऐसे में सेकंडरी इंफेक्‍शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

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