
नारी डेस्क: पत्नी द्वारा पीरियड्स न आने की बीमारी छिपाने के मामले में पति को तलाक देने के फैसले को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की अपील को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने साफ कहा कि दोनों के रिश्ते में सुधार की कोई संभावना नहीं है।
पति का आरोप: महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या छिपाई
पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि पत्नी ने शादी से पहले यह जानकारी छुपाई कि उसे पीरियड्स नहीं आते हैं। उसने इसे मानसिक क्रूरता बताया और तलाक की मांग की। पति का कहना था कि इस बात ने उसे मानसिक रूप से काफी परेशान किया।
साथ रहने के दौरान भी बढ़ते रहे विवाद
दंपती की शादी 5 जून 2015 को हिंदू रीति से हुई थी। शादी के शुरुआती दो महीने सामान्य रहे, लेकिन इसके बाद पत्नी के व्यवहार में बदलाव आने लगा। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी घर के बुजुर्ग माता-पिता और भतीजे–भतीजियों की जिम्मेदारी उठाने से मना करने लगी। वह कहती थी “क्या अनाथालय खोल रखा है?” पति का यह भी कहना था कि पत्नी घर के लोगों के लिए खाना बनाने से भी मना करती थी, जिससे घर में लगातार विवाद होते रहे।
कोर्ट ने कहा रिश्ता बच नहीं सकता
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि दोनों अब काफी समय से अलग रह रहे हैं और उनके बीच संबंधों में सुधार की कोई संभावना नहीं दिखती। इसलिए फैमिली कोर्ट का तलाक देने का फैसला सही है।
पत्नी को 5 लाख रुपये भरण–पोषण
हाई कोर्ट ने पति को आदेश दिया है कि वह चार महीने के भीतर पत्नी को 5 लाख रुपये एकमुश्त स्थायी भरण–पोषण के रूप में दे।