नब्बे के दशक के मशहूर अभिनेता और शानदार हास्य कला व अनोखे नृत्य के लिए चर्चित गोविंदा 14 वर्ष के अंतराल के बाद राजनीति में वापसी करते हुए महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सदस्य रहे गोविंदा चुनावी मौसम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हुए। उनसे पहले कंगला ने राजनीति में एंट्री कर तूफान मचा दिया था।
दशकों लंबे करियर में कई सुपरहिट फिल्म में अभिनय करने वाले गोविंदा ने 2004 के चुनाव में चुनावी राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया था। “हीरो नंबर 1” के अभिनेता गोविंदा ने उस साल बड़ा उलटफेर करते हुए मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता राम नाइक को हराया था। शिंदे ने 60 वर्षीय अभिनेता का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि वह समाज के सभी वर्गों में लोकप्रिय हस्ती हैं। इस मौके पर गोविंदा ने कहा कि 2004 से 2009 के बीच राजनीति में उनके पहले कार्यकाल के बाद उन्हें कभी नहीं लगा था कि वह इस क्षेत्र में वापसी करेंगे। अभिनेता ने कहा, “मैं 14 वर्ष के वनवास के बाद राजनीति में लौटा हूं। ”
एक्टर का पूरा नाम गोविंदा आहूजा है। उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला तो वह कला और संस्कृति के क्षेत्र में काम करेंगे। अभिनेता ने कहा कि शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद से मुंबई अधिक सुंदर और विकसित दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश का विकास अविश्वसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोविंदा बिना किसी पूर्व शर्त के उनकी पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने इन बातों को खारिज कर दिया कि वह चुनाव के मद्देनजर पार्टी में शामिल हुए हैं।
शिंदे ने कहा- “गोविंदा प्रगति के पक्षधर हैं, वह मोदीजी की विकास नीतियों से प्रभावित हैं। वह फिल्म उद्योग के कल्याण और प्रगति के लिए कुछ करना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि वह सरकार और फिल्म उद्योग के बीच की कड़ी बनेंगे। वह बिना किसी शर्त के साथ हमसे जुड़े हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या अभिनेता को मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से मैदान में उतारा जाएगा, शिंदे ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई शर्त नहीं रखी है।
याद हो कि गोविंदा पर आरोप लगे थे कि 2004 लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ से उन्हें हराने के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और बिल्डर हितेन ठाकुर की मदद ली थी।उस दौरान गोविंदा सांसद बनने के बाद सदन में अनुपस्थित रहने वालों में सबसे ऊपर थे। पांच साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक भी सवाल सदन में नहीं उठाया। 2009 में राजनीति ने सन्यास लेने के दौरान उन्होंने कहा था कि- यह हम एक्टर्स के लिए नहीं है। अगर आप राजनीति पर फोकस कर रहे हैं तो आपका करियर चौपट हो जाएगा। गोविंदा ने तो यह भी कहा था कि अब वह दोबारा पॉलिटिक्स में वापसी नहीं करेंगे।