ड्राइंग रूम की सजावट बहुत माइने रखती है। वहां रखे फूलदान में यदि खूबसूरत फूल लगे हों तो सजावट में चार चांद लग जाते हैं। अब यदि यह फूल नकली या कृत्रिम की जगह असली हों तो, उनके आर्कषण की बात कुछ और है। आइए देखते हैं कि इन असली फूलों को फूलदान में कैसे सजाएं ताकि उनकी ताजगी की आर्कषण लंबे समय तक बनी रहे।
फूलदान में फूलों को ठूंसना नहीं है, वरना उन्हें कलात्मक ढंग से लगाना चाहिए, जिससे आपकी कलात्मक अभिव्यक्ति का आभास हो और आंगतुक उसकी भुरि-भरि प्रशंसा किए बगैर नहीं रहे। फूलदान में हर दिन भिन्न-भिन्न फूलों को लगाया जा सकता है। इससे विविधता और नयापन लगता है।
यदि रंग-बिरंगे फूल लगे हों, तो उनकी छटा निराली होती है और यह देखने वालों का मन मोह लेते हैं। ऐसा लगता है कि प्रकृति का समूचा सौंदर्य एक छोटे से फूलदान में सिमट आया हो। रंग-बिरंगे फूलों को फूलदान में सजाते समय याद रखें कि पत्ते हरे रंग के ही हों। तभी उनका आर्कषण कायम रहेगा।
यदि किसी एक ही रंग से फूलदान सजा रहे हों, तो फिर रंग-बिरंगे पत्तों को इस्तेमाल करने से फूलदान का उठाव बढ़ जाता है। वैसे पाम, फर्न आदि के पत्तों से आकर्षण बढ़ जता है।
फूलदान में सजाने के लिए फूल ताजे ही होने चाहिए। यदि पुराने या बासी फूल लगाएंगे तो वे घंटे आधे घंटे में ही अपना आकर्षण खो देते हैं। फूलों को सदैव प्रात: काल का सायंकाल ही पौधों से तोड़ना चाहिए। इस समय तोड़े गए फूल में एक नैसर्गिक नमी रहती है और वे अधिक टिकाऊ होते हैं।
फूलदान में सजाने के लिए पौधों से केवल उन्हें फूलों को चुनना चाहिए जो अधखिले हों या ताजा खिले हों, पूरे खिले हुए फूल जल्दी झड़ जाते हैं। पौधों से जिन फूलों का चुनाव करें, उन्हें हाथ नहीं, वरन कैंची ब्लेड अथवा धारदार चाकू से काटें। यदि आप हाथ में डंटल समेद फूल तोड़ने का प्रयास करेगा। तो संभव है फूल या डंठल को क्षति पहुंच जाए। फूलदान में सजाने के लिए फूलों को डंटल सिहत तोड़ना चाहिए। बेहतर होगा डंठल लंबे हों, लम्बे डंठल होने से उन्हें फूलदान में लगाने में भी आसानी रहती है।