स्मिता सभरवाल, एक ऐसा नाम है, जिन्हें तेलंगाना के लोह मसीहा मानते हैं। जहां वह मुख्यमंत्री कार्यालय में सेवा करने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं वहीं वह तेलंगाना की पहली महिला आईएएस ऑफिसर भी हैं। पिछले 2 दशकों से स्मिता ईमानदार, गरिमापूर्ण तरीके से देश की सेवा में लगी हुई हैं। यही वजह है कि लोग इन्हें अब 'जनता की अधिकारी' कहकर भी बुलाते हैं। चलिए आपको बताते हैं महज 21 साल की उम्र में आईएएस अफसर बनीं दबंग स्मिता सभरवाल की लाइफस्टोरी...
'जनता की अधिकारी' का मिला खिताब
19 जून 1977 को पश्चिम बंगाल, दार्जिलिंग में जन्मीं स्मिता के पिता रिटायर सेना अधिकारी कर्नल प्रणब दास हैं और मां का नाम पुरबी दास हाउसवाइफ है। पिता के आर्मी में होने की वजह से स्मिता कई शहरों में पली-बढ़ी हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनका परिवार हैदराबाद में सेटल हो गया। वहीं, स्मिता की स्कूलिंग पूरी की और 12 वीं में ISC टॉपर रहीं। इसके बाद उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की।
पहले प्रयास में असफल लेकिन नहीं मानी हार
आईसीएसई स्टैंडर्ड टॉप करने के बाद स्मिता ने सिविल सर्विस की पढ़ाई शुरू की। पहली बार में वह प्रीलिम्स भी नहीं क्लियर कर पाई थीं और उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी औ रदोबारा कोशिश की। तभी वो UPS एग्जाम करने वाली पहली युवा स्टूडेंट बनीं। दूसरी कोशिश में उन्होंने ना सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि ऑल इंडया में चौथा रैंक भी हासिल कर मां-बाप का नाम रोशन किया।
गरीबों की सेवा में लगाया पूरा जीवन
इसके बाद तेलंगाना कैडर से IAS से ट्रेनिंग लेने के बाद उनकी पोस्टिंग चितूर में सब-कलेक्टर के तौर पर हुई। वह कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर ,वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही। अपने अब तक के करियर में वह तेलंगाना के वारंगल, करीमनगर विशाखापट्टनम, और चित्तूर में काम कर चुकी हैं।
शुरू की "फंड योर सिटी" योजना
उन्होंने नगर आयुक्त, वारंगल के रूप में काम किया, जहां उन्होंने "फंड योर सिटी" योजना शुरू की, जहां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के साथ ट्रैफिक जंक्शन, फुट-ओवरब्रिज, बस-स्टॉप, पार्क जैसी बड़ी संख्या में सार्वजनिक उपयोगिताओं का निर्माण किया गया।
विवादों से भी रहा नाता
काम के साथ-साथ दबंग और तेज-तर्रार स्मिता के नाम एक विवाद से भी जुड़ चुका है। दरअसल, उन्होंने एक मैगजीन को आपत्तिजनक कार्टून छापने पर नोटिस भेजा थी, जिसमें स्मिता को रैंप वॉक करते हुए दिखाया गया था और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उनकी फोटो खींच रहे हैं। इसके साथ यह भी लिखा गया था कि स्मिता मीटिंग में ट्रेंडी साड़ी और कपड़े पहनकर आती हैं।
उस समय वह तेलंगाना के CM ऑफिस में बतौर एडिशनल सेक्रेटरी काम करती थी। तब उन्होंने कानूनी नोटिस भेजकर इस आउटलुक का जवाब मांगा था। नोटिस में लिखा गया है, 'मैं 14 साल के लंबे अरसे से समाज की सेवा कर रही हूं, इस लेख ने मुझे बहुत आहत किया।
हेल्थ केयर सेक्टर में 'अम्माललाना' प्रोजेक्ट की शुरुआत की
उन्होंने ना सिर्फ ईमानदारी से अपना काम किया बल्कि कई बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां भी संभाली। हेल्थ केयर सेक्टर में 'अम्माललाना' प्रोजेक्ट की शुरुआत करने का श्रेय भी स्मिता को ही जाता है, जिसके लिए उन्हें प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित भी किया चुका है। इसके अलावा करीमनगर में बतौर DM तैनात रहने के दौरान उन्हें बेस्ट टाउन का भी अवॉर्ड भी मिल चुका है।
बता दें कि 2001 बैच की IAS अफसर स्मिता तेलंगाना की पहली ऐसी महिला है जो मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात हुई। उन्होंने IPS डॉक्टर अकुन सबरवाल से शादी की है और उनके 2 बच्चे नानक और भुविश हैं। वह वर्तमान में तेलंगाना सरकार के मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में कार्यरत हैं और सचिव, ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग (मिशन भगीरथ विभाग) के रूप में अतिरिक्त प्रभार रखती हैं।