कोरोना काल में लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। जहां लॉकडाउन में काम धंधा थप होने के कारण गरीब लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए वहीं कुछ प्रवासी मजदूर मीलो पैदल चलकर अपने घर तक पहुंचे। वहीं लॉकडाउन के चलते एक पिता को अपनी 15 दिनों की मासूम बेटी से ही जुदा होना पड़ा।
दरअसल, असम के कोकराझार जिले में आर्थिक तंगी के चलते एक पिता ने अपनी 15 दिनों की बच्ची को किसी ओर के हाथों में सौंप दिया। पिता ने महज 45000 में अपनी नन्ही बच्ची का सौदा कर दिया। जानकरी मिलने पर पुलिस ने तुरंत पिता समेत 2 महिलाओं को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया।
बेरोजगारी के चलते बेची बच्ची
वन ग्राम धंतोला मंडारिया में रहने वाले दीपक ब्रह्मा मजदूरी का काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण वह कुछ वक्त पहले ही गुजरात से लौटे थे कि तभी उनकी पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के जन्म के बाद ब्रह्मा ने काम की काफी तलाश की लेकिन कुछ भी हासिल ना हुआ। उनके जमा किए हुए पैसे भी कुछ समय बाद खत्म हो गए। पैसों की तंगी और घर में खाने के लिए कुछ भी ना होने पर उसने ब्रह्मा ने पैसों के लिए अपनी बेटी का सौदा कर दिया।
महज 45 हजार रुपए में किया सौदा
उन्होंने बेटी का सौदा करने से पहले अपनी पत्नी को भी नहीं बताया। उन्होंने 2 महिलाओं को 45 हजार रुपए में अपनी बेटी बेच दिया। जब पत्नी को इसकी जानकारी हुई तो उसने गांव वालों से मदद मांगी। गांव वालों ने कोचुगांव पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई, जिसके बाद बच्ची को बचाया गया।
तुंरत हरकत में आई पुलिस
खबर मिलने के बाद पुलिस तुरंत हरकत में आई और पिता समेत दोनों महिलाओं को जेल में डाला। पूछताछ के दौरान महिलाओं ने कहा कि उन्होंने अपने रिश्तेदार से बच्ची को खरीदा था लेकिन पुलिस ने तुरंत सच का पता लगा बच्ची अपनी मां को सौंप दी।