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कप्‍पा और डेल्‍टा वेरिएंट में जानिए फर्क, कौन है ज्‍यादा खतरनाक?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 14 Jul, 2021 09:37 AM
कप्‍पा और डेल्‍टा वेरिएंट में जानिए फर्क, कौन है ज्‍यादा खतरनाक?

जहां कोरोना मामलों में कमी देखने को मिल रही है वहीं, सामने आ रहे इसके नए -नए म्यूटेशन वैज्ञानिकों को चिंता में डाल रहे हैं। डेल्‍टा वेरिएंट के बाद अब देश में कप्‍पा वेरिएंट का कहर देखने को मिल रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने SARS-Cov-2 वायरस के परिणाम घोषित क‍िए, जिसमें 109 नमूनों में से 107 नमूने डेल्‍टा (B.1.617.2) के और बाकी दो कप्‍पा वेरिएंट (B.1.167.1) के मिले। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि डेल्‍टा और कप्‍पा वेरिएंट में से कौन-सा सबसे ज्यादा खतरनाक है?

कप्पा और डेल्टा की इंफेक्टिविटी

बता दें कि दोनों वेरिएंट एक ही वायरस B.1.617 वायरस के म्यूटेशन है और दोनों ही भारत में एक साथ पाए गए। हालांकि कप्पा के मुकाबले डेल्टा तेजी से फैला। वहीं, डेल्टा का कहर भारत के अलावा यूके, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल समेत कई देशों में देखने को मिला जबकि कप्पा वायरस सिर्फ भारत में ही पाया गया। WHO ने डेल्टा को "वेरिएंट ऑफ कंसर्न" जबकि कप्पा वायरस को "वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट" श्रेणी में रखा है। WHO ने इसे लैम्ब्डा वेरिएंट (Lambda variant) की तरह चिंताजनक नहीं माना है।

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तीन केटेगरी के है वेरिएंट

CDC यानि सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कोरोना वेरिएंट्स की तीन श्रेणियां बनाई हैं, वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट, वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस।

-'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में वो म्यूटेशन आते हैं, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलते हो और जिसके कारण अस्पताल जाने की नौबत या मृत्यु हो सकती है। इसके अलावा ऐसे वेरिएंट वैक्सीन के असर को कम करने में भी सक्षम होते हैं। डेल्टा + वेरिएंट इसी श्रेणी में रखा गया है।
- 'वेरिएंट ऑफ इंट्रस्ट' का मतलब बै जेनेटिक मार्कर्स यानि जिनका संबंध रिसेप्टर ​बाइंडिंग में बदलाव से हो। ऐसे वेरिएंट संक्रमण या वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज के असर को कम कर देते हैं। इनपर ट्रीटमेंट, डायग्नॉस्टिक का असर भी नहीं होता इसलिए कप्पा वायरस को इस श्रेणी में रखा गया है।
-वेरिएंट ऑफ हाई कॉनजिक्वेंस में ऐसे म्यूटेशन शामिल है जिसमें बचाव के तरीके या मेडिकल काउंटरमेजर्स का असर ना हो।

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कप्पा और डेल्टा वायरस के लक्षणों में अंतर?

1. कप्पा वायरस में तेज बुखार, त्वचा पर रैशेज, आंखों से पानी आना, नाक बहना, बदन दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। वहीं, इसमें माइल्ड और गंभीर कोरोना वायरस जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।

2. जबकि डेल्टा वेरिएंट में बुखार, सिरदर्द, डायरिया, नाक बहना, गले में इंफेक्शन, सांस लेने में दिक्कत, एड़ी का रंग बदलना, कमर में तेज दर्द होता है।

कप्पा, डेल्टा पर वैक्सीन का प्रभाव

शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन वायरस पर 8 गुना कम असरदार हैं। वहीं कप्‍पा वेरिएंट में एंटीबॉडी के प्रति निष्‍प्रभावन क्षमता होती है। ऐसे में हो सकता है ये वैक्सीन के प्रभाव को कम कर दे। हालांकि अभी इसका कोई प्रभाव नहीं मिला है और वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।

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वायरस से बचाव के टिप्स

किसी भी वायरस से बचाव के लिए आपको अलग-अलग तरीके अपनाने की जरूरत नहीं बल्कि आपको सावधान रहने की आवश्यकता है।

1. वायरस से बचाव के लिए मास्क सबसे जरूरी हथियार है इसलिए घर से बाहर जाते समय डबल मास्किंग करें।
2. समय-समय पर हाथ को धोते रहें लेकिन अधिक सैनेटाइजर का इस्तेमाल ना करें।
3. हो सके तो बेवजह घर से बाहर ना निकलें और भीड़-भाड़ से दूर रहें।
4. सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करें।
5. बाहर से घर आने के बाद गंदे कपड़ों को बदलें और हाथों को करीब 20 सेकेंड तक धोएं। बाहर से लाए हुए सामान को डिसइंफेक्ट करना ना भूलें।

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अगर कोरोना का कोई भी लक्षण नजर आए तो पहले खुद को क्‍वारंटाइन करें और कॉल के जरिए डॉक्टर से सलाह लें।

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