कोरोना महामारी का कहर बढ़ता जा रहा है ऐसे में अभी तक इस की कोई दवा सामने नही आई है लेकिन रोजाना हमें इससे जुड़ी कुछ ऐसी रिपोर्टस सुनने को मिलती है जो लोगों के दिलों में इस वायरस के खौफ को ओर बढ़ा देता है।
हाल ही में वैज्ञानिकों की एक नई रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि इंसान के ठीक होने के बाद भी उसके फेफड़ों में कोरोना रह जाता है । कोरोना के कहर में जहां लोगों के मन में तब राहत भरी सांस आई थी जब खबरें ये आ रही थी कि कोरोना से मरीज ठीक हो रहे लेकिन हाल ही में जो रिपोर्ट सामने आई है वो सबको हैरान करने वाली है । नई रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि फेफड़ों में कोरोना छुपा रह सकता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जो लोग इस वायरस से ठीक हो रहे है उनमें भी वायरस का खतरा कम नही हो रहा है।
इस बात का दावा चीनी शोधर्कताओं ने किया है उनके अनुसार चीन में कई ऐसे मामले सामने आ चुके है जहां मरीज की 70 दिनों के बाद कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटीव पाई गई।
कई देशों में मामले आए सामने
इस तरह के मामले सिर्फ चीन में ही नही बल्कि बाकी देशों में भी सामने आ चुके है जहां मरीज के ठीक होने के बाद भी वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इनमें जिन देशों के नाम शामिल है वो है साउथ कोरिया , वहां तकरीबन 160 लोगों की कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। ऐसे ही मामले ताइवान,मकाउ,वियतनाम में भी सामने आए है।
पोस्टमार्टम के बाद पुष्टि
दक्षिणी पश्चिमी चीन के आर्मी मेडिकल यूनीवर्सिटी की रिर्स्च टीम ने एक महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला है कि जिस महिला का टेस्ट लिया गया वह कोरोना से ठीक हो गई थी और उसकी तीन बार रिपोर्ट भी नेगेटिव आ चुकी थी जिसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी लेकिन फिर अगले ही दिन उस महिला की मौत हार्ट अटैक के कारण हो गई जिसके बाद जब उस महिला का पोस्टमार्टम में टेस्ट किया गया तो उसके फेफड़ों की गहराई में कोरोना वायरस पाया गया।
टिशूज में छुपा रहता है कोरोना
शोधकर्ताओं के मुताबिक जब उन्होंने महिला के फेफड़ों के टीशूज की इलैक्ट्रोनिक माइक्रोस्कोप से जांच की तो साफ हुआ कि उनमें कोरोना था। अपनी रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने ये भी लिखा कि ये छुपे हुए कोरोना आमतौर पर संक्रमितो में सामने आने वाले लक्षणों को नही उभारते और ये फेफड़ो के टीशूज में पड़े रहते है लेकिन लंबे समय बाद ये फिर सक्रिय हो जाते है।
वहीं अगर देखा जाए तो कोरोना के लक्षण साफ तौर पर सामने नही आ रहे है इसका कारण है कि जो टेस्ट लिए जा रहे है वो फेफड़ों की गहराई से नही लिए जाते जिसके कारण लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है।
इसी बीच टीम ने ये भी सुझाव दिया है कि संक्रमण के हर पहलू को समझना बेहद जरूरी है और अस्पताल से छुट्टी देने से पहले हर संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों की जांच की जानी चाहिए। इतना ही नही बल्कि उनके फेफड़ों को ट्यूब के जरिए वॉशिंग लिक्विड डाल कर साफ किया जाए ताकि फेफड़ों में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा कम हो।