नारी डेस्क: मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT) पर शुक्रवार सुबह एक दहलाने वाली घटना सामने आई। कुशीनगर एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 22537) के एसी कोच (B2) के टॉयलेट में कूड़ेदान के अंदर एक मासूम बच्चे का शव मिला। जैसे ही यह जानकारी सामने आई, ट्रेन और स्टेशन पर मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया।
कैसे सामने आई घटना?
घटना 23 अगस्त 2025 को तड़के करीब 1:05 बजे हुई, जब कुशीनगर एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 4 पर पहुंची। यह ट्रेन LTT से काशी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 15017) बनकर आगे रवाना होती है। ट्रेन के रुकने के बाद जब उसकी नियमित सफाई की जा रही थी, तभी एक सफाई प्रभारी की नजर बाथरूम के अंदर रखे कूड़ेदान पर गई। जब उसने ध्यान से देखा, तो उसके अंदर एक तीन साल के मासूम बच्चे का शव मिला।
पुलिस और रेलवे प्रशासन हरकत में आया
रात 1:50 बजे स्टेशन प्रबंधक को इस घटना की जानकारी दी गई, जिसके बाद रेलवे पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची। ट्रेन को रोका गया और बारीकी से जांच शुरू हुई। पुलिस ने कोच को सील कर दिया है और सीसीटीवी फुटेज, टिकट रिकॉर्ड और यात्रियों की सूची की जांच की जा रही है।
पहले से दर्ज था अपहरण का केस
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि मृत बच्चा गुरुवार, 21 अगस्त से लापता था। उसकी मां ने सूरत (गुजरात) के अमरोली पुलिस स्टेशन में अपने चचेरे भाई विकास शाह (25 वर्ष) के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज करवाया था। अब पुलिस विकास शाह की तलाश कर रही है, जो इस पूरे मामले में मुख्य संदिग्ध बताया जा रहा है।
जांच के सभी पहलुओं पर काम जारी
रेलवे और स्थानीय पुलिस मिलकर घटना के हर पहलू की जांच कर रही है। बच्चे की मौत कैसे हुई? ट्रेन में शव कब और कैसे रखा गया? संदिग्ध व्यक्ति कहां है और ट्रेन में कैसे आया? इन सभी सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
यात्रियों में भय और चिंता का माहौल
इस खौफनाक वारदात के बाद ट्रेन में मौजूद यात्रियों के बीच डर और चिंता का माहौल बन गया है। यात्रियों ने ट्रेन की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि घटना की पूरी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, और दोषी को जल्द से जल्द पकड़ने का भरोसा दिया गया है।
ट्रेन जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जगह पर इस तरह की घटना बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली है। यह न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभी भी समाज में बहुत कुछ किया जाना बाकी है।