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उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ संपन्न हुआ चार दिनों का महापर्व छठ, बेहद शानदार था सुबह का नजारा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 08 Nov, 2024 10:53 AM
उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ संपन्न हुआ चार दिनों का महापर्व छठ, बेहद शानदार था सुबह का नजारा

आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ संपन्न हो गया। चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का महापर्व‘कार्तिक छठ 05 नवंबर को ‘नहाय खाय' अनुष्ठान के साथ शुरू हुआ था। दूसरे दिन खरना पूजा संपन्न हुई। तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को ‘पहला अर्घ्य' दिया गया। छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन आज राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों में हजारों महिला और पुरुष व्रतधारियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।

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 दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हुआ और उसके बाद ही व्रतधारियों ने अन्न ग्रहण किया। बिहार के      औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल देव में आज उदयाचल सूर्य को लाखो की संख्या में व्रतधारियों -श्रद्धालुओं द्वारा अर्ध्य अर्पित किए जाने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो गया। देव के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में आज तड़के से ही श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर रहे हैं।लोक मान्यता है कि देव छठ व्रत करने तथा त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं की मनोवांछित कामनाएं पूरी होती हैं और इस मौके पर यहां भगवान भास्कर की साक्षात उपस्थिति की रोमांचक अनुभूति होती है ।    

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छठ पूजा के अंतिम दिन सुबह से ही श्रद्धालु गया के केंदुई घाट, पिता महेश्वर घाट, राय बिंदेश्वरी घाट, मौर्याघाट, महादेव घाट, लक्खीबाग घाट सहित अन्य घाटों पर पहुंचे और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।देखते ही देखते श्रद्धालुओं का जन सैलाब फल्गु नदी के विभिन्न घाटों पर उमड़ पड़ा। पूरे धार्मिक विधि विधान से लोगों ने पूजा-अर्चना कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और अपने परिवार की सुख, समृद्धि और शांति की कामना की। 

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वहीं  दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी शुक्रवार सुबह भक्तगण सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन कर अपने घर लौट गए। जिस तरह छठ पूजा के तीसरे दिन राष्ट्रीय राजधानी में सैकड़ों लोग शाम की पूजा करने के लिए घाटों पर उमड़े और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया, ठीक वैसा ही नजारा शुक्रवार की सुबह भी देखने को मिला, जो त्योहार के चौथे दिन का समापन था।छठ भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने त्योहार को सुचारू रूप से मनाने के लिए राजधानी भर में लगभग 1,000 कृत्रिम घाट बनाए हैं। ये कृत्रिम घाट पारंपरिक नदी तटों के विकल्प के रूप में काम करते हैं।

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एक दिल्ली निवासी और बिहार की मूल निवासी ने इस अवसर और पौराणिक कथाओं में इसकी जड़ों के बारे में बताया- "छठ पूजा का बहुत महत्व है। शुरू में, इसे सीता जी ने किया था और बाद में, हम इसे मनाते आ रहे हैं। सीता जी ने अपने राज्य के लिए इसे किया था और हम भी कुछ इच्छाओं के लिए छठी माई से प्रार्थना करते हैं। जब हमारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, तो हम अनुष्ठान करते हैं।" सूर्य भगवान और उनकी बहन छठी माई की पूजा की जाती है।


 

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