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13 साल के बच्चे में मिला ब्लैक फंगस का पहला केस, जानें कैसे करें बचाव

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 21 May, 2021 08:04 PM
13 साल के बच्चे में मिला ब्लैक फंगस का पहला केस, जानें कैसे करें बचाव

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच देश में अब एक और नई बीमारी तेजी फैल रही हैं। इस बीमारी का नाम है म्यूकरमाइकोसिस यानि कि ब्लैक फंगस। वहीं अब इस बीमारी को लेकर चिंता बढ़ती ही जा रही हैं क्योंकि गुजरात के अहमदाबाद में 13 साल के बच्चे में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) का पहला मामला सामने आया है।  बच्चे में म्यूकरमाइकोसिस की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद आज शुक्रवार को अहमदाबाद के एप्पल चिल्ड्रेन अस्पताल में इस बच्चे का ऑपरेशन किया गया।
 

कोरोना पॉजिटिव हो चुका था बच्चा- 
जानकारी के मुताबिक, बच्चा इससे पहले कोरोना पॉजिटिव हो चुका था, जबकि बच्चे की मां भी कोरोना पॉजिटिव रही थी जिस कारण उसकी मौत भी हो गई। 
 

 वायरल लोड ज्यादा होने से मां की पहले ही हो चुकी है मौत-

बतां दें कि बच्चे की मां में वायरल लोड ज्यादा होने की वजह से उसकी मौत हो गई थी, जबकि बच्चा कोरोना से ठीक हो गया था।  लेकिन अब डेढ़ महीने के बाद बच्चे में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए है। डॉक्टरों ने जब इसका टेस्ट किया तो वह म्यूकरमाइकोसिस पॉजिटिव पाया गया।  वहीं, म्यूकरमाइकोसिस ऑपरेशन के बाद फिलहाल बच्चा सुरक्षित है।
 

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देश में बच्चों में ब्लैक फंगस का यह पहला केस 
अहमदाबाद के बच्चों के डॉक्टर चेतन त्रिवेदी का कहना है कि यह पहला मामला है इससे पहले ब्लैक फंगस के मामले बड़ी उम्र के लोगों में ही देखा था। बच्चों में इस तरीके का मामला सामने आने के बाद अब इस बीमारी को लेकर डॉक्टर इसकी गंभीरता से लेने के लिए कह रहे हैं।
 

डॉक्टर अभिषेक बंसल की टीम के जरिए इस बच्चे के नाक का ऑपरेशन किया गया है। डॉक्टर बंसल का कहना है कि अप्रैल में उसे कोरोना हुआ था, जिसके बाद वो पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गया था, लेकिन अचानक उसमें इस तरह के लक्षण पाए गए और वह म्यूकरमाइकोसिस पॉजिटिव निकला।
 

तेजी से पैर पसार रहा है ब्लैक फंगस- 

कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस तेजी से पैर पसार रहा है। बतां दें कि अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस के अब तक 7,251 केस सामने चुके हैं जिसमें 219 लोगों की मौत हुई है। 

 

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आईए जानते हैं ब्लैक फंगस के क्या है प्रभाव- 
 

इन स्टेज के जरिए फैलता है फंगस 

पहला चरण : शुरूआत में वायरस नाक में ही रहता है, जिसके कारण जुकाम, नाक बंद होना, नाक से खून बहना, दर्द, चेहरे पर सूजन व कालापन आने लगता है।
 

दूसरा चरण : इसके बाद वायरस नाक व आंख की एक नस से साइनस और उसके बाद ब्रेन में चला जाता है। इससे नसें भी ब्लॉक हो जाती है और आंख में दर्द, सूजन धुंधलापन होने लगता है।
 

तीसरा चरण : इसमें वायरस आंख के साथ फेफड़े में भी जा सकता है। आंखें हिलती नहीं और बंद हो जाती है। इससे ना सिर्फ दिखना बंद हो जाता है बल्कि फेफड़े में जाने पर खांसी और जकडन जैसी समस्याएं होने लगती है।
 

चौथा चरण : इसमें वायरस मस्तिष्क में चला जाता है, जिसमें मरीज बेहोश होने लगता है। साथ ही इससे दूसरी मानसिक दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं।


कैसे करें बचाव-

1. कोरोना से ठीक हो चुके शुगर के मरीजों पर ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ने लगा है इसलिए हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल करें। साथ ही रेगुलर ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें। 

2. हो सके तो स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें या डॉक्टर की सलाह कम मात्रा में इसका यूज करें।

3. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए साफ पानी यूज करें।
 

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