04 NOVMONDAY2024 11:38:16 PM
Nari

Autism: बच्चों में नजरअंदाज न करें ये लक्षण, शुरुआती पहचान से आसान होगा इलाज!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Oct, 2024 02:45 PM
Autism: बच्चों में नजरअंदाज न करें ये लक्षण, शुरुआती पहचान से आसान होगा इलाज!

नारी डेस्क: ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक डेवलपमेंटल डिसेबिलिटी है जो किसी व्यक्ति की कम्युनिकेट करने और खुद को व्यक्त करने की क्षमता, दूसरों के बिहेवियर और अभिव्यक्ति को समझना को प्रभावित करती है और सामाजिक कौशल को प्रभावित करती है। इसे बीमारी कहना गलत होगा। यह एक अलग मानसिक डिसेबिलिटी है। ऐसे बच्चों या लोगों का दिमाग आम लोगों से कुछ अलग तरीके से काम करता है। ऑटिज्म की प्रॉब्लम में बच्चा हमेशा डरा-सहमा रहता है। यह ऐसी मेंटल डिसेबिलिटी है जिसमें बच्चा एक ही तरह की कुछ हरकतें करता रहता है. बच्चे को सामाजिक मेल-जोल से बेहद परेशानी होती है. मुश्किल यह है कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब भी यही कंडीशन रहती है। लेकिन शुरुआत में अगर ध्यान दिया जाए तो इससे आगे की राह बहुत आसान हो जाती है।

बच्चों को ऑटिज्म कैसे होता है?

शिशुओं और बच्चों में ऑटिज़्म का को स्पेसिफिक कारण नहीं है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि जेनेटिक्स और एनवायरनमेंट, के कारण किसी व्यक्ति में बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं।

कब से होती है ऑटिज्म की शुरुआत

इस डिसेबिलिटी के लक्षण आमतौर पर 12-18 महीनों की एज में (या इससे पहले भी) दिखते हैं जो आम से लेकर सीरियस हो सकते हैं। ये प्रॉब्लमस पूरी लाइफ तक रह सकती हैं। नवजात शिशु जब ऑटिज्‍म का शिकार होते हैं उनमें विकास के निम्‍न संकेत दिखाई नहीं देते हैं। अगर ऐसी कंडीशन में इसी के दौरान पहचान हो जाए तो आगे इस कंडीशन पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है।

PunjabKesari

ऑटिज्म के लक्षण

1 अगर कोई बच्चा पैरंट्स या किसी जानने वाले के पुकारने पर रिऐक्ट न करे। ऐसा बार-बार हो तो जरूर सचेत हो जाएं। इसे अटेंशन डेफिसिट कहते हैं। 

2 वह बात करते समय आई कॉन्टेक्ट न करे। वह अक्सर नज़रें इधर-उधर फिराता रहे।जब बच्चा एक साल की उम्र का होता है तो वह दूसरे से आंख मिलाने से कतराते रहता है. हालांकि अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग तरह से लक्षण देखने को मिलते हैं।

3 9 महीने की उम्र में अपने नाम को पहचानता न हो और नाम सुनकर जवाब न दे तो सचेत हो जाएं।

4 ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे को दूसरे काम सीखने में बहुत दिक्कत होती है. लाख कोशिश के बावजूद भी वह नई चीजें सीख नहीं पाता. लेकिन कुछ बच्चों में सीखने की गजब की क्षमता होती है।

5 जो शिशु हावभाव नहीं दिखाते हैं, वे 24 महीने की उम्र तक आवाज नहीं करते हैं और शिशु-भाषा में बोलते हैं।

PunjabKesari

इलाज कैसे किया जाता है

ऑटिज्म का शत प्रतिशत इलाज नहीं है लेकिन अगर शुरुआत में डॉक्टर के पास ले जाया जाए तो इस विकृति को बहुत हद तक मैनेज किया जा सकता। बच्चे की स्थिति देखते हुऐ डाॅक्टर इलाज तय करते है। जरूरत पड़ने पर दवा दी जा सकती है। बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, आक्यूपेशनल थेरेपी का यही इंटे़शन है की बच्चे से उसकी भाषा  मे बात की जाएं और उसके दिमाग को जाग्रत किया जाएं। ठीक तरह से इन थेरेपी पर काम किया जाए तो कुछ हद तक बच्चा ठीक हो सकता है।प्रीस्कूल से ही इसपर ध्यान दिया जाना जरूरी है. इसके लिए कई मोर्चे पर इलाज की आवश्यकता होती है. माता-पिता और फैमिली को भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा स्कूल में अलग तरह से ट्रीट किया जाता है।

PunjabKesari

इसलिए अगर इन लक्षणों को अपने बच्चों में देखें तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.

Related News