जब पहली बार बच्चा स्कूल जाता है तो माता- पिता के मन में उसकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल आते हैं। उन्हें हर वक्त इसी बात की फिक्र रहती है कि उनका बच्चा वहां के माहौल में Adjust कर पाएगा या नहीं। बहुत से पैरेंट्स ऐसे हैं जो बच्चों को स्कूल बस में भेजने के सख्त खिलाफ है, लेकिन जाने- अनजाने वह अपने बच्चे का बचपन खो रहे हैं।
खो रहा है बचपन
स्कूल बसों को लेकर अकसर लोगों की यही धारणा है कि इनमें बच्चों की सेफ्टी नहीं है, उनकी सीटें अच्छी नहीं होती। ऐसे में अपने वाहन में ही बच्चे को स्कूल ले जाना सही समझते हैं। इस बीच पैरेंट्स भूल जाते हैं कि ऐसा करने से उनका बच्चा बाकी बच्चों के साथ घुल-मुल नहीं पाएगा। क्योंकि स्कूल बस में एक साथ जाने से ना सिर्फ वह एक दूसरे को समझ पाते हैं बल्कि उन्हें बड़े- छोटे सभी बच्चों के साथ रहने का तरीका भी आ जाता है।
बच्चाें में कम हो रहा है आत्मविश्वास
अगर आपका बच्चा एकलौता है तो भूलकर भी उसे बाकी बच्चों के साथ खेलने में मना ना करें। क्योंकि ऐसा करने से बच्चे तनाव में रहने लगता है और जरूरत से अधिक अनुशासन की वजह से उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। भावनात्मक लगाव की हकीकत यह है कि चार लोगों को देखकर बच्चा इतना डर जाता है कि वह अपनी मां की गोद में आकर छिप जाता है।
बच्चों के साथ गुजारें वक्त
अगर आप भी अपने इकलौते संतान की परवरिश कर रहे हैं तो जरूरी है कि आप भी उन्हें मानसिक समस्याओं से बचाने का प्रयास करें। हो सके तो उनके साथ अधिक- अधिक वक्त गुजारें। बच्चे का शुरू से ही मोरल वैल्यू सिखानी चाहिए ताकि आगे जाकर उसे किसी भी प्रकार की परेशानी ना आए। उसे लोगों की सेवा करना, इज्जत देना, अनुसाशन में रहना आना चाहिए। कुछ पैरेंट्स बच्चों को खुश रखने के लिए उन्हें बुरे काम के लिए भी डांटते नहीं है। आपका ये प्यार उनके लिए समस्या बन सकता है।
संयुक्त परिवार बच्चों के लिए सही
आज कल के हालात को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि बच्चों को संयुक्त परिवार में लाने से उसको सहयोग और धैर्य के लिए सीखने का माहौल मिलता है। एक ही मकान में रहते हुए बच्चे दादा-दादी, चाचा-चाची और अन्य रिश्तेदारों के साथ सुरक्षात्मक माहौल में लोगों सम्मान देने और बड़ों की अहमियत देना सीखते हैं। चचेरे भाई-बहनों के साथ रहने से वह एक-दूसरे का ख्याल रखने और मिलकर खाने-पीने जैसी महत्वपूर्ण बातें सीख पाते हैं।
बच्चों की नहीं सताती चिंता
संयुक्त परिवार में रहने से माता-पिता को इस बात की चिंता नहीं होती कि उनके दूर रहने के दौरान बच्चे की देखभाल कौन कर रहा है। क्योंकि उनका बच्चा दादा-दादी और चाचा-चाची जैसे लोगों के साथ रहता है जो बच्चे का ख्याल भी ठीक तरीके से रखते हैं और उसे सही तरीके से बड़ा करने में सहायता कर सकते हैं। बात चाहे एकल परिवार की हो या संयुक्त परिवार की माहौल और सुविधाएं बच्चे पर गहरा असर डालती ळैं।
इन बातों का रखें ख्याल
बच्चों को जब हर काम के लिए टोका जाता है तो वह अकेला रहना ही पसंद करता है और अपने दोस्तों से खेलना बंद कर देता है। अगर आपका बच्चा भी अकेला रहता है तो उसे परिवार के बीच बैठना सिखाएं और कभी अकेला न छोड़ें। ध्यान ना देने पर उनकी झिझकइतनी बढ़ जाएगी कि वह स्कूल में भी किसी फंक्शन में पार्टीसिपेट करने या टीचर से बात करने लगेंगे। जो बच्चे के विकास के लिए ठी नही है।