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अजब-गजब: देश के इन मंदिरों में देवी-देवता नहीं बल्कि जानवरों की होती है पूजा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 20 Jan, 2022 01:56 PM
अजब-गजब: देश के इन मंदिरों में देवी-देवता नहीं बल्कि जानवरों की होती है पूजा

भारत देश अपनी खूबसूरती, संस्कृति व धार्मिक स्थलों से जाना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं जहां पर देवी-देवताओं की नहीं बल्कि जानवरों की पूजा होती हैं? जी हां, यही सच हैं। चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताते हैं जो पशुओं को समर्पित हैं...

बैल का मंदिर, कर्नाटक

हिंदू धर्म में बैल को पूजनीय माना जाता है। इसे भगवान शिव का वाहन मानने से विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसे में ही कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में नंदी को समर्पित एक बैल का मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि विश्व भारती नदी मंदिर में स्थापित मूर्ति के पैरों से निकलती है।  

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मन्नारसला मंदिर, केरल

केरल में स्थित मन्नारसला मंदिर में सांपों की पूजा होती है। कहा जाता है कि मंदिर में करीब 1,00,000 सर्प की मूर्तियां हैं। मान्यता है कि निस्संतान जोड़े  यहां पूजा करते हैं। इसके साथ ही मन्नत पूरी होने पर वे मंदिर दोबारा आकर सर्प मूर्ति दान करते हैं।

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गलताजी मंदिर, राजस्थान

अरावली पहाड़ियों के बीच जयपुर से 10 मिनट की दूरी पर स्थित गलताजी मंदिर में सप्त कुंड है। ये कुंड पत्थरों के बीच बने हुए है। कहा जाता है कि इनमें एक कुंड ऐसा है जो कभी भी गलता नहीं यानि इसका पानी सूखना नहीं हैं। मंदिर में आपको सैंकड़ों बंदर और लंगूर दिखाई देंगे। पौराणिक कथाओं अनुसार, एक समय ऋषि गालव ने इसी जगह पर तप किया था।

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करणी माता मंदिर, राजस्थान

घरों में चूहे आते ही लोग उसे भगाने लगते हैं। मगर राजस्थान में एक ऐसा मंदिर हैं जिसमें भारी संख्या में चूहे हैं। ये चूहे इंसानों के साथ ही प्रसाद खाते हैं। करणी माता मंदिर में इन चूहों की पूजा भी करने का महत्व है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, करणी माता के निधन के बाद वे चूहे के रूप में ही जन्मीं थी। इसके साथ ही कहा जाता है कि एक चूहे की मौत होने पर दोबारा इसी मंदिर में उसका जन्म हो जाता है।

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चन्नापटना मंदिर, कर्नाटक

कहा जाता है कि कुत्ते सबसे ज्यादा वफादार व भरोसे के लायक होते हैं। शायद इसलिए कर्नाटक के एक गांव में ऐसा मंदिर स्थापित हैं जिसमें 2 कुत्तों की मूर्तियां हैं। खबरों की मानें तो गांववाले इस बात से अनजान हैं कि यह मंदिर कब और किसने बनाया। मगर फिर भी लोग इस मंदिर में आस्था व लगन से पूजा करते हैं। गांववालों का मानना हैं कुत्ते भरोसे के योग होते हैं। ऐसे में वे जीवन की हर परिस्थिति में उनकी रक्षा करेंगे।

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