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मिट्टी के बर्तनों का फिर बढ़ा क्रेज, सेहत के लिए नहीं वरदान से कम

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 29 May, 2021 12:10 PM
मिट्टी के बर्तनों का फिर बढ़ा क्रेज, सेहत के लिए नहीं वरदान से कम

आधुनिकता, फैशन और खोखले दिखावे की तेज दौड़ में हर व्यक्ति कुदरत से और भी दूर होता चला जा रहा है। इसके चक्कर में इंसान उन चीजों से भी दूर हो गया, जो सेहत के लिए फायदेमंद होती थी लेकिन बीमारियां एक बार फिर लोगों को प्राकृतिक चीजों से जुड़ना सिखा रही है। वॉटर कूलर, मिक्सी, स्टील और प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाले यही लोग अब मिट्टी के घड़े, सिलबट्टे, लोहे के बर्तन और तांबे की बोतलों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इन दिनों मिट्टी के बर्तन की डिमांड भी खूब देखने को मिल रही है।

मिट्टी के बर्तनों का फिर बढ़ा क्रेज

करीब 4 दशक पहले घड़े, सुराहियां, मिट्टी की चूल्हे, हांडी और अन्य बर्तन का खूब इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बदलते समय के साथ वॉटर कूलर, फ्रिज, गैस-चूल्हों, ओवन, प्लास्टिक, RO ने इनकी जगह ले ली। हालांकि एक बार फिर लोगों में मिट्टी के बर्तनों का क्रेज देखने को मिल रहा है।

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पोषक तत्वों से भरपूर

घड़े और सुराहियों में पानी भरकर रखने से ना सिर्फ वो ठंडा हो जाता है बल्कि उसमें पोषक तत्व भी भरपूर होते हैं।साथ ही इसका स्वाद भी मीठा होता है। मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, गंधक और मैग्नीशियम जैसे जरूर तत्व होते हैं, जिससे शरीर को कई बीमारियों से लड़ने की ताकत भी मिलती है।

शरीर को मिलते हैं 100% पोषक तत्व

एल्युमीनियम बर्तन में खाना पकाने से 87% पोषक तत्व, पीतल के बर्तन में 7% पोषक और कांसे के बर्तन में 3% पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। मिट्टी के बर्तन ही ऐसे हैं जिनमें खाना बनाने से 100% पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। वहीं, इसमें पका भोजन भी दूसरे बर्तनों के मुकाबल ज्यादा स्वादिष्ट होता है।

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चलिए अब आपको बताते हैं मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदे...

1. मिट्टी के बर्तनों में खाने-पीने से कब्ज, एसिडिटी की समस्या नहीं होती। इसके एल्कलाइन गुण शरीर में pH स्तर को भी समान्य रखते हैं।
2. यह शरीर में कैंसर सेहत को भी बढ़ने से रोकता है, जिससे इस बीमारी का खतरा काफी कम हो जाता है।
3. मिट्टी के बर्तनों में आप खाना भी ज्यादा देर तक स्टोर करके रख सकते हैं क्योंकि इसमें भोजन लंबे समय तक फ्रेश रहता है।
4. मिट्टी के घड़े पानी को शुद्ध करने का काम करता है। मिट्टी के घड़े की जगह मिट्टी के वाटरकूलर ने भी ले ली हैं।

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कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें

1. मिट्टी के बर्तन को करीब 12 घंटे पानी में भिगोने के बाद इस्तेमाल करें। छोटे बर्तन जैसे कटोरी, गिलास, हांडी, कप, चम्मच को कम से कम 6 घंटे तक भिगोएं।
2. मिट्टी के बर्तन में हमेशा धीमी आंच पर भोजन पकाएं। इससे भोजन ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट बनेंगा।
3. डिशवॉशिंग सोप और डिटर्जेंट से इनकी सफाई ना करें। ये मिट्टी के पोर्स में जमा होकर आपको बीमार कर सकते हैं। इन्हें गर्म पानी में नींबू का रस, बेकिंग सोडा या नमक उबालें।

भले ही मिक्सी और वॉटर कूलर ने व्यक्ति के काम को आसान बना दिया हो लेकिन इससे सेहत को काफी नुकसान पहंच रहा है। ऐसे में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।

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