अपने लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन खुशहाल जीवन तो वो ही है जो दूसरो के लिए जिया जाए। कहा जाता है जो दूसरों के लिए जीता है वहीं इंसान है। इसका एक उदाहरण पेश किया है बुजुर्ग दंपति ने। कोई भूखा पेट ना सोए इसलिए यह सिर्फ 2 रुपये में पराठा बेचते हैं।
30 साल से चला रहे हैं भोजनालय
73 साल के बाला कृष्णन और 66 साल की उनकी पत्नी लक्ष्मी के हिम्मत और हौंसले को हम दिल से सलाम करते हैं। ये दोनों दोनों नागरकोइल के राजपथई में 30 साल से एक भोजनालय चला रहे हैं, जिसमें एक पराठे की कीमत सिर्फ 2 रुपये है। इस उम्र में भी वह दोनों दूसरों की मदद के लिए कडी मेहनत कर रह हैं।
पराठों से भरता है गरीबों का पेट
बाला कृष्णन जी का कहना है कि इन पराठों से बहुत से गरीबों, स्टू़डेंट्स का पेट भरता है, ऐसे में वह इसके दाम नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने कहा कि हमने बचपन में पराठे बिकते देखा था, लेकिन खा नहीं पाए थे। ऐसे में हम चाहते हैं कि कोई भी भूखा ना रहे। शुरू में पराठे की कीमत 25 पैसे थी, अब 2 रुपये का बेचते हैं।
बुजुर्ग ने बचपन में देखी थी गरीबी
लक्ष्मी कहती हैं कि हमने बहुत गरीबी देखी है, वह दूसरों को ऐसी परिस्थिति में देखते हैं तो अपना दिन याद आ जाता है। वह जानती हैं कि भूख का मतलब क्या है। यह दोनाें एक छाेटे से घर में रहते हैं, लेिकन उनका कहना है कि वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट हैं।