भारत के बच्चों में हुनर की कोई कमी नहीं है, वो पुरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं भारतीय मूल की स्कूली छात्रा मोक्ष रॉय जिन्हें हाल ही में ब्रिटिश के प्रधानमंत्री ने पॉइंट ऑफ लाइट पुरस्कार से सम्मानित किया है। दरअसल मोक्षा ने सिर्फ 3 साल की उम्र में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की स्थिरता पहल के लिए स्वेच्छा से काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कई स्थिरता अभियानों में स्वंयसेवा करने के लिए मान्यता दी गई है, जिसमें जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए पैसे जुटाने भी शमिल है।
कौन है मोक्षा रॉय?
रेडियो, अखबारों और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स के माध्यम से दुनिया भर के हजारों बच्चों को मोक्षा रॉय ने जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, गरीबी और असमानता जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एक पहल शुरू की है। मोक्षा रॉय ने माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पहल के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी।
मोक्षा कर रही हैं माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण रोकने की कोशिश
मोक्षा रॉय एक अरब से ज्यादा बच्चों और उनके परिवारों को माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण और इसे रोकने के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रही है, इसमें यूके के 24 हजार स्कूलों और कॉलेजों के बच्चे भी शामिल हैं।
मोक्षा रॉय को दिया गया प्वाइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार
मोक्षा को दुनिया की सबसे छोटी संपोषणीय पैरोकार के रूप में सम्मानित किया गया है। वहीं ब्रिटिश उप प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन का कहना है कि, '' मोक्षा ने संयुक्त राष्ट्र संपोषणीय विकास लक्ष्यों की पैरोकारी करते हुए अपने काम से एक शानदार मिसाल कायम की है। स्कूल की Syllabus में इन बातों को स्थान दिलाने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया है और वह इस बात पर विचार करने के लिए दुनियाभर के नेताओं को प्रोत्साहित करने के लिए वह उनके संपर्क में रही हैं।''