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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हर न्यू मॉम करती हैं ये 5 गलतियां, जानिए सही पोजिशन और उपाय

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 18 Jun, 2025 02:50 PM
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हर न्यू मॉम करती हैं ये 5 गलतियां, जानिए सही पोजिशन और उपाय

नारी डेस्क: मां और बच्चे का रिश्ता जन्म से पहले ही बन जाता है लेकिन इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाने का सबसे अहम तरीका है शिशु को स्तनपान कराना। मां का दूध शिशु के लिए सिर्फ पोषण का ही नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का भी सबसे बड़ा जरिया है। हालांकि, नई मांओं के लिए यह अनुभव थोड़ा मुश्किल और नया होता है। इस दौरान वे कुछ ऐसी सामान्य गलतियां कर बैठती हैं, जो शिशु और मां दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। आइए जानें वो कौन-कौन सी गलतियां हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

गलत बैठने की स्थिति में दूध पिलाना

सबसे पहली और आम गलती है सही पॉजिशन में न बैठना। जब मां शिशु को दूध पिलाने लगती है, तब यह जरूरी होता है कि मां और बच्चा दोनों आरामदायक स्थिति में हों। अगर मां का शरीर झुका हुआ है, या बच्चा दूर है तो शिशु को दूध पीने में दिक्कत हो सकती है। मां को गर्दन, पीठ और कंधे में दर्द हो सकता है।
सही तरीका: पीठ को सपोर्ट देकर बैठें और बच्चे को नजदीक लाकर, उसके सिर और गर्दन को सहारा दें।

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बच्चे के सिर पर दबाव डालना

कुछ माएं सोचती हैं कि शिशु के सिर को हल्के से दबाने या पकड़ने से वह दूध पीने लगेगा, लेकिन यह बहुत गलत तरीका है। ऐसा करने से बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है बच्चा असहज हो जाता है और दूध नहीं पीता
सही तरीका: बच्चे के सिर को सहारा दें, लेकिन जोर से न पकड़ें। बच्चे को स्तन के पास धीरे-धीरे लाएं ताकि वह खुद दूध पीना शुरू करे।

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शिशु का मुंह पूरी तरह खुलने का इंतजार न करना

बहुत सी माएं शिशु का मुंह पूरी तरह खुलने से पहले ही दूध पिलाना शुरू कर देती हैं। इससे बच्चा सही तरीके से निप्पल नहीं पकड़ पाता। दूध पीने में उसे दिक्कत होती है। कभी-कभी वह रोने लगता है या मुंह घुमा लेता है।
सही तरीका: निप्पल को शिशु के मुंह के पास धीरे-धीरे लगाएं। जब उसका मुंह पूरी तरह खुल जाए, तभी उसे स्तनपान कराएं।

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दूध पिलाने की प्रक्रिया को अचानक रोक देना

जब शिशु दूध पी रहा हो और मां अचानक उसे खींच ले, तो यह दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे को झटका लग सकता है। मां को निप्पल में दर्द और जलन हो सकती है।
सही तरीका: शिशु को धीरे-धीरे अपने ब्रेस्ट से अलग करें। जब बच्चा खुद हटे या दूध पीना बंद करे, तब उसे हल्के हाथों से अलग करें।

किसी भी स्थिति में दूध पिलाना

नई माएं अक्सर सोचती हैं कि वे किसी भी पोजिशन में बैठकर शिशु को दूध पिला सकती हैं, लेकिन यह सोच गलत है। गलत पोजिशन से शिशु को दूध निगलने में परेशानी होती है। मां को पीठ दर्द, थकान और तनाव हो सकता है।
सही तरीका: एक आरामदायक कुर्सी पर बैठें या तकिए का सहारा लें। शिशु को अपने करीब लाएं ताकि दोनों को आराम मिले और दूध पीने में कोई रुकावट न हो।

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इन बातों का भी रखें ध्यान:

क्या ज्यादा दूध पिलाना हानिकारक है: जी हां, शिशु को जरूरत से ज्यादा दूध पिलाने से वह खाना कम करने लगता है, जिससे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। साथ ही ज्यादा दूध से पेट की गैस और उल्टी की शिकायत भी हो सकती है।

रात में कितनी बार दूध पिलाना चाहिए: नवजात शिशु को रात में कम से कम 3 से 5 बार दूध पिलाना जरूरी होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसकी रात में दूध पीने की जरूरत कम हो जाती है।

नवजात के लिए सबसे अच्छा दूध कौन सा है: जन्म से 6 महीने तक मां का दूध ही सबसे अच्छा माना जाता है। यह बच्चे की इम्युनिटी, दिमागी विकास और शारीरिक वृद्धि के लिए बेहद जरूरी होता है।

इन छोटी-छोटी गलतियों से बचकर, आप अपने शिशु को एक स्वस्थ और सुखद शुरुआत दे सकती हैं।

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