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जानिए 82 साल की 'शूटर दादी' की पिस्तौल चलाने की स्टोरी, जीत चुकी हैं 25 नैशनल चैम्पियनशिप

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 09 Jul, 2019 06:59 PM
जानिए 82 साल की 'शूटर दादी' की पिस्तौल चलाने की स्टोरी, जीत चुकी हैं 25 नैशनल चैम्पियनशिप

30-40 की उम्र के बाद जहां महिलाएं खुद को कमजोर समझने लगती हैं, वहीं 'शूटर दादी' के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर का हौसला 87 साल की उम्र में भी कायम है। इतना ही नहीं, लंबे समय से वो हॉस्पिटल में भर्ती थी लेकिन बावजूद इसके जब वो घर लौटीं तो उनकी हिम्मत में किसी तरह की कमी नहीं आई। दरअसल, कमजोरी के कारण शूटर दादी चंद्रो तोमर घर में गिर गईं, जिसके कारण उनके दाहिने हाथ की हड्डी टूट गई थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है, जहां से इलाज करवाकर वह घर लौट आईं है। उनके वापिस आने पर गांव वालों ने 'लड़की बचाओ, लड़की पढ़ाओ और लड़की खिलाओ' के नारे लगाते हुए उनकी हिम्मत को सलाम किया।

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बता दें भूमि पेडनेकर और तापसी पन्नू की फिल्म 'सांड की आंख' में दिखाई जाने वाली 'शूटर दादीयां' इन्हीं औरतों की सच्ची कहानी पर बेस्ड है। बागपत (उत्तर प्रदेश) की की रहने वाली चंद्रो तोमर ने अपने जोहरी गांव की सैकड़ों लड़कियों को न सिर्फ बंदूक चलाना सिखाया बल्कि उन्होंने लड़कियों को विश्व स्तर पर अपना हुनर दिखाने का भी मौका दिया। उनकी के साथ शामिल हैं प्रकाशी तोमर।

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लड़कियों को देती हैं शूटिंग की ट्रेनिंग

उनका कहना है कि लड़कियां देश में नाम कमा रहीं है और आगे भी करती रहेंगी। आगे उन्होंने कहा, 'लड़कियों को धाकड़ बनाओं और उनके लिए काम करो। मैं जब बुढ़ापे में हिम्मत कर रही हूं तो आप भी कीजिए।' वह सिर्फ अपने गांव ही नहीं बल्कि आस-पास रहने वाली गरीब लड़कियों को भी बंदूक चलाने की ट्रेनिंग देती हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए तैयार करती हैं।

कैसे शुरू हुई शूटिंग की कहानी 

65 साल की उम्र तक चंद्रो तोमर एक आम महिला थीं, जो सिर्फ घर की जिम्मेदारियों की ही निभा रही थी लेकिन पोती के कारण उन्हें ना सिर्फ घर से बाहर पैर रखा बल्कि दुनिया को अपना हुनर भी दिखाया। दरअसल, 1998-99 के आसपास चंद्रो अपनी 11 साल की पोती को शूटिंग की ट्रेनिंग दिलवाने के लिए लेकर जाती है। उसे दौरान जब उनकी पोती पिस्तौल चलाने से डर रही थी तो उसके हौसला बढ़ाने के लिए उन्होंने पिस्तौल उठाकर निशाना लगा दिया। उनका निशाना एकदम सीधा लगा। इत्तफाक मानते हुए जब कोच ने उन्हें दोबारा निशाना लगाने को कहा तो दूसरी बार भी उनका निशाना नहीं चूका। हालांकि उसमें और निखार लाने की जरूरत थी तो कोच ने उन्हें ट्रेनिंग लेने की सलाह दी। इसके बाद उनका सफर शुरू हो गया।

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विरोध के बावजूद भी जमाए रखे पैर

जब उन्होंने शूटिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी तो गांव वालों के साथ परिवार भी उनके खिलाफ खड़ा था। गांव वाले उनका मजाक उड़ाते हुए कहते 'बुढ़िया इस उम्र मे कारगिल जाएगी क्या?' मगर उन्होंने पति से छुपकर अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। इसी बीच उन्हें उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर का साथ मिला, जो खुद भी शूटिंग करना चाहती थीं। इसके बाद दोनों ने शूटिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।

बच्चों ने दिया साथ

जहां परिवार और पूरा दोनों के खिलाफ खड़ा था वहीं उनके बच्चों और पोते-पोतियों ने उनका साथ दिया। बच्चों व पोतियां उन्हें चोरी-छुपे शूटिंग रेंज और प्रतियोगिताओं औप वापिस ले आते। इस तरह वो अपने खेल में आगे बढ़ीं और दुनिया को दिखा दिया कि सपने साकार करने की कोई उम्र नहीं होती है। रात में जब सब सो जाते, तब चंद्रो पानी से भरा जग लेकर गन को पकड़ने, बैलेंस बनाने की घंटों प्रैक्टिस किया करती थीं।

700 मेडल जीत चुकीं है शूटर दादीयां

चंद्रो व प्रकाशी तोमर कई प्रतियोगिताओं में ना सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि 100 मेडल अपने नाम भी किए लेकिन उनके सिखाए बच्चे अपने मेडल दादियों के नाम कर देते हैं, जिसके कारण उनके नाम 700 मेडल हैं। चंद्रो लाइमलाइट में तब आईं जब उन्होंने 1999 में नार्थ जोन शूटिंग प्रतियोगिता जीती। बता दें कि अब तक वो शूटिंग में कुल 25 नैशनल चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं। वहीं प्रकाशी दादी ने तो एक शूटिंग प्रतियोगिता में दिल्ली के डीआईजी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था।

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अपना शूटिंग रेंज खोलने की तैयारी

दोनों ने लगभग 65 और 57 की उम्र से शूटिंग शुरू की और 70 की उम्र तक करती रहीं। मगर उम्र अधिक होने के कारण अब वो चंद्रो तोमर प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पातीं। हालांकि लड़कियों को शूटिंग में बढ़ावा देने के लिए दादी गांव में ही एड्वांस लेवल का शूटिंग रेंज खोलने की तैयारी में हैं।

चंद्रो की बेटी भी है अंतरराष्ट्रीय शूटर

चंद्रो की बेटी सीमा एक अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं, जो 2010 में राइफल व पिस्टल विश्व कप में पदक जीतने वाली पहली महिला भी है। उनकी पोती नीतू सोलंकी एक अंतरराष्ट्रीय शूटर है। इतना ही नहीं, उनके परिवार की 7 लड़कियां नैशनल लेवल पर शूटिंग कर रही हैं। बता दें कि गांव जौहरी से लगभग 30 से अधिक शूटर रजिस्टर्ड हैं।

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