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गर्भावस्था के समय नवजात शिशु पर पड़ता है कई बातों का सीधा प्रभाव

  • Updated: 24 May, 2015 02:30 PM
गर्भावस्था के समय नवजात शिशु पर पड़ता है कई बातों का सीधा प्रभाव

मां के लिए सर्वाधिक सुखद अनुभव होता है बच्चे को जन्म देना । बच्चे के जन्म के बाद जहां एक ओर उसकी दुनिया बदल जाती है वहीं नवजात शिशु की देखभाल उसकी प्राथमिकता बन जाती है । पेश हैं कुछ उपयोगी टिप्स :

- जन्म के समय जिन बच्चों का वजन चार किलोग्राम या उससे ज्यादा होता है, वे बड़े होकर मोटापे के शिकार हो सकते हैं इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि गर्भवती महिलाएं अत्यधिक खान-पान से दूर रहें, कसरत करती रहें और  डायबिटिक न हों ।

- बच्चे मां का स्पर्श, उसकी खुशबू को पहचानते हैं । अक्सर कहा जाता है कि मां बच्चे का रोना पिता से बेहतर पहचानती है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है । मां और पिता दोनों अपने बच्चे के रोने की आवाज समान रूप से पहचान सकते हैं ।

- हर बच्चे की नींद का पैटर्न अलग होता है, लेकिन कुल मिला कर नवजात शिशुओं को करीब16 घंटे की नींद की जरूरत होती है । जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह अवधि कम होती जाती है ।

- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जन्म के बाद छ: महीने तक तो बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए । थाईलैंड में सिर्फ पांच फीसदी महिलाएं बच्चों को अपना दूध पिलाती हैं । भारत अभी इससे बचा हुआ है । यूनिसेफ ने कहा कि इस मामले में दुनिया को भारत से सीख लेनी चाहिए ।

- इन दिनों बहुत कम उम्र के बच्चों के लिए भी कम्प्यूटर और स्मार्टफोन पर ऐप्स उपलब्ध हैं, जो उनके विकास में मददगार हैं । पहले दो वर्षों में दिमाग का आकार तीन गुना बढ़ जाता है, जो चीजों को छूने, फैंकने, पकडऩे, काटने, सूंघने, देखने और सुनने जैसी गतिविधियों से संभव होता है । 

- गर्भावस्था के समय कई बातों का सीधा प्रभाव पैदा होने वाले बच्चे और उसके भावी जीवन पर पड़ता है । यदि गर्भवती महिला तनाव में है तो बच्चे तक पोषक तत्व नहीं पहुंचते । इसी तरह जन्म के बाद मां का अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी है ।

- छोटे बच्चों को अक्सर दवाओं से दूर रखने की कोशिश की जाती है । खास तौर से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक होता है । इनसे शरीर के लाभदायक जीवाणु मर जाते हैं और मोटापा, दमा और पेट की बीमारियां बढ़ती हैं ।

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