एक आम कहावत है कि परछाई कभी साथ नहीं छोड़ती, पर यह सच नहीं है। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक साल के दो दिन ऐसे होते हैं, जब परछाई भी हमारा साथ छोड़ देती है। परछाई न बनने के इस घटनाक्रम को खगोल विज्ञानी जीरो शैडो-डे या ‘शून्य छाया दिवस’ कहते हैं बेंगलुरू में कल लोगों को जीरो शैडो का अनुभव होगा। जीरो शैडो डे की पिछली घटना इसी साल अप्रैल में हो चुकी है और अब कल यानी 18 अगस्त 2023 को ये घटना फिर होने वाली है।
साल में दो बार होती है ये घटना
एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार कल सूर्य की वजह से दोपहर के समय किसी भी वस्तु की परछाई जमीन पर नहीं दिखेगी। जीरो शैडो डे साल में दो बार ट्रॉपिक्स यानी कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के स्थानों के लिए होता है, तो इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सूर्य का झुकाव उत्तरायण और दक्षिणायन दोनों के दौरान उनके लैटिट्यूड यानी अक्षांश के बराबर होगा। यह घटना सिर्फ एक सेकंड के लिए होती है, लेकिन इसका प्रभाव डेढ़ मिनट तक देखा जा सकता है।
इस कारण होती है ये घटना
ऐसा नहीं है कि इस दिन छाया बिल्कुल गायब ही हो जाती है। दरअसल, जब सूरज ठीक हमारे सर के ऊपर होता है, तो उसकी किरणे हम पर लंबवत पड़ती हैं, जिस वजह से हमारी जो परछाई होती है वो थोड़ा इधर-उधर न बनकर बिलकुल हमारे पैरों के नीचे बनती है। इस वजह से सीधे खड़े रहने पर कोई परछाई दिखाई नहीं देती है। ये घटना तब होती है, जब सूरज का झुकाव भूमध्य रेखा से उत्तर या फिर दक्षिण के बराबर होता है।
बदलती रहती है सूर्य की दिशा
यह तो हम जानते ही हैं कि हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और अपनी धुरी पर भी घूमती है। पृथ्वी अपने अक्षांश पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिस कारण सूर्य का प्रकाश धरती पर हमेशा एक जैसा नहीं पड़ता और इसी वजह से दिन और रात की अवधि भी बराबर नहीं होती। पृथ्वी के सूर्य का चक्कर लगाते रहने के कारण सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की प्रकिया घटित होती है और ऋतुओं में परिवर्तन होता है। सालभर में सूर्य के उत्तर और दक्षिण दिशा में आते-जाते दिखने की स्थिति को भारतीय संस्कृति में उत्तरायण व दक्षिणायन के नाम से भी पहचाना जाता है।
ओडिशा भी ले चुका है जीरो शैडो का अनुभव
शून्य छाया घटना का मौसम पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि स्थानीय मौसम प्रभावों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो सामान्य तौर पर यह दिन क्षेत्र का सबसे गर्म दिन होता है।बता दें कि जीरो शैडो डे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तारीखों पर पड़ सकता है। पहले ओडिशा में भुवनेश्वर ने भी 2021 में जीरो शैडो डे का अनुभव किया है। इसके अलावा 21 जून 2022 में दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर उज्जैन में भी यह घटना हुई थी। बेंगलुरु के कोरमंगला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स इस अवसर पर अपने परिसर में कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस दौरान बच्चें और बड़े मिलकर सूर्य और उसके द्वारा बनाई जा रही छाया की तस्वीरें लेंगे और इस विशेष अवसर को कैमरों में कैद किया जाएगा।