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इन 5 योगासनों को बनाएं अपनी रुटीन का हिस्सा, शरीर में नहीं होगी कोई भी बीमारी

  • Edited By palak,
  • Updated: 29 Nov, 2022 11:30 AM
इन 5 योगासनों को बनाएं अपनी रुटीन का हिस्सा, शरीर में नहीं होगी कोई भी बीमारी

खान-पान में पोषक तत्वों की कमी और अस्वस्थ वातावरण शरीर पर बहुत ही गहरा प्रभाव डालते हैं। सारा दिन की भागदौड़ और व्यस्त लाइफस्टाइल के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी होनी लगती है। ऊर्जी की कमी के कारण भी शरीर कई तरह की बीमारियों से घिरने लगता है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आप कुछ योगासनों को अपनी रुटीन का हिस्सा बना सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...

पादहस्तासन 

पादहस्तासन तीन शब्दों के मेल से बना है। पहला शब्द है पाद जिसका अर्थ होता है पैर, दूसरा शब्द है हस्त जिसका अर्थ होता है हाथ और तीसरा शब्द है आसन जिसका अर्थ है मुद्रा। इस आसन को करने के लिए खड़े होकर आगे की ओर झुका जाता है और अपने दोनों हाथों के साथ पैरों को छूना पड़ता है। सूर्य नमस्कार में शामिल 12 योगों में से यह तीसरी मुद्रा भी है। इस आसन को नियमित करने से पेट की चर्बी कम, पाचन संबंधी समस्याएं और शरीर की थकान दूर होती है। 

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कपालभाती 

कपालभाती एक प्राणायाम के तौर पर जानी जाती है इसे जीवन की संजीवनी भी कहते हैं। योग के सारे आसनों में यह बहुत ही कारागार मानी जाती है। इसे करने के शरीर के टॉक्सिन्स पदार्थ बाहर निकलते हैं। साथ ही शरीर में से थकान भी दूर होती है, ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है और दिमाग अच्छे से कार्य करता है। इस आसन को नियमित करने से श्वास संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। 

नौकासन 

नौकासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है। नौका का अर्थ होता है नाव और आसन का अर्थ है सीट। इस योगासन में आपका शरीर नाव की मुद्रा में होता है। प्राचीन काल से यह आसन किया जा रहा है। पेट की चर्बी कम करने, रीढ़ की हड्डी मजबूत करने, शुगर लेवल कंट्रोल करने में भी यह आसन बहुत ही कारगार माना जाता है। जिन लड़कों को एब्स बनाने का शौक है वह इसे अपनी रुटीन में शामिल कर सकते हैं। 

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बालासन  

बालासन भी संस्कृत का शब्द है। बाल का अर्थ होता है बच्चा और आसन का अर्थ होता है मुद्रा । इस आसन को करते हुए जमीन पर लेटे हुए बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे को जमीन से ऊपर उठे हुए और घुटने जमीन से चिपके होते हैं इसलिए इसे बालासन पोज कहा जाता है। इस आसन को नियमित करने से पेट की चर्बी कम करने, कमर दर्द, कंधे, गर्दन, पीठ और जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द से भी काफी आराम मिलता है। इसके अलावा इस आसन को करने से महिलाओं को पीरियड्स में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। 

अनुलोम विलोम 

अनुलोम विलोम को आप अपनी फिटनेस रुटीन में शामिल कर सकते हैं। यह एक प्राणायाम है जो महिलाओं के शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। रोजाना 10 मिनट इसे करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। रोजर्मरा के तनाव को कम करने, आंखों की रोशनी बढ़ाने, ब्लड सर्कुलेशन ठीक करने, दिल को स्वस्थ रखने और बॉडी को डिटॉक्स करने में यह प्राणायाम मदद करता है। 

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