हर साल दुनियाभर में 24 अक्तूबर को 'World Polio Day' यानि 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को पोलियो वायरस के प्रति जागरूक करना है। इसके साथ ही इससे विश्व को मुक्त करवाना है। डब्लूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2014 में भारत देश को मुक्त घोषित कर दिया था। मगर फिर भी देश का आज करीब 87 प्रतिशत इलाका ही पोलियो से मुक्त कहा जा सकता है। इसके अलावा भारत देश सफल पल्स पोलियो अभियान के 25 साल पूरे कर चुका है।
पोलियो का इलाज नहीं, सिर्फ होने से रोका जा सकता
भारत देश भी पोलियो मुक्त घोषित हो चुका है। मगर फिर भी आपको इस वायरस से अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। सबसे पहले हो हमें यह जानना व मानना होगा कि इस बीमारी का कोई इलाज संभव नहीं है। इसे गंभीर बीमारी से बच्चों का सिर्फ बचाव किया जा सकता है। बच्चों को इस संक्रमण की चपेट में आने से रोकने के लिए आप उन्हें पोलिया की ऑरल वैक्सीन या वैक्सिनेशन करवा सकते हैं। पोलियो तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जो पोलियो वायरस से फैसलती है। यह सीधा व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके कारण सांस लेने में तकलीफ, पैरालाइसिस यहां तक कि मौत होना का खतरा रहता है।
इन्हें पोलियो का शिकार होने का अधिक खतरा
वैसे तो पोलियो का वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। मगर फिर भी 5 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका शिकार होने का खतरा सबसे अधिक होता है। दरअसल, छोटे बच्चों में संक्रमण से लड़ने की शक्ति कम होती है। इसलिए वे जल्दी ही पोलियो की चपेट में आ जाते हैं। बता दें, अभी तक डब्ल्यूएचओ द्वारा अमेरिका, भारत, यूरोप, वेस्टर्न पैसिफिक एशिया और साउथ ईस्ट एशिया को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया है। मगर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया में इस बीमारी के मामले अभी भी देखने को मिल रहे है।
पोलियो से बचाव का तरीका
अगर आप भी अपने बच्चों को इससे सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन्हें पोलियो की ऑरल खुराक या वैक्सिनेशन जरूर लगवाएं। इसकी सुविधा लगभग देशभर के हर अस्पताल में उपलब्ध है। इसके अलावा हर साल समय-समय पर सरकार द्वारा भी बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने की मुहीम चलाई जाती है। इस दौरान सरकारी अस्पताल के कर्मचारी घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की 2-2 बूंदें पिलाते हैं।