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क्या जानबूझकर फंसाया गया आर्यन खान? गवाह बोला- 18 करोड़ में तय हुई थी डील

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 24 Oct, 2021 03:43 PM
क्या जानबूझकर फंसाया गया आर्यन खान? गवाह बोला- 18 करोड़ में तय हुई थी डील

मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में जहां एक तरफ एनसीबी की जांच तेज हो गई है तो वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को लेकर आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक गवाह ने दावा किया है कि आर्यन खान  एक वसूली कांड का पीड़ित है और यह डील 18 करोड़ में तय हुई थी। 

गवाह ने किए कई खुलासे 

गवाह ने  प्रभाकर सेल एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेड़े और इस मामले के मुख्य गवाह केपी गोसावी को लेकर भी कई खुलासे किए हैं। उनका कहना है कि  केपी गोसावी और सैम डिसूजा के बीच 18 करोड़ रुपए के सौदे के बारे में सुना, जिसमें से 8 करोड़ समीर वानखेड़े को दिए जाने थे। केपी गोसावी से नकद प्राप्त किया गया और इसे सैम डिसूजा को सौंप दिया गया। 

गवाह ने लगाए कई आरोप

प्रभाकर ने यह भी दावा है कि क्रूज पर छापेमारी के बाद शाहरुख खान की मैनेजर पूजा डडलानी के साथ केपी गोसावी को मर्सिडीज कार में एकसाथ करीब 15 मिनट तक बात करते देखा गया था। उसके बाद गोसावी ने उसे फोन किया था और बतौर पंच बनने को कहा था। गवाह का आरोप है कि  एनसीबी ने उससे 10 सादे कागज पर दस्तखत करवाए थे। यह भी दावा किया गया कि 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 45 मिनट पर गोसावी ने फोन कर 2 अक्टूबर की सुबह 7:30 बजे तक तैयार होने और एक स्थान पर आने को कहा था। 


रहस्यमयी तरीके से गायब है केपी गोसावी 

दावा किया है कि 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 45 मिनट पर गोसावी ने फोन कर 2 अक्टूबर की सुबह 7:30 बजे तक तैयार होने और एक स्थान पर आने को कहा था। आरोप लगाने वाला प्रभाकर उसी  केपी गोसावी का बॉडीगार्ड है, जिसे र्यन खान के साथ सेल्फी लेते देखा गया था। प्रभाकर का कहना है कि जब से गोसावी रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया है, उन्हें समीर वानखेड़े से अपनी जान का खतरा है। 


समीर वानखेड़े पर पहले भी लग चुके हैं आरोप 

इन सभी आरोपों पर  एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने जवाब देते हुए कहा कि  एजेंसी की छवि खराब करने के लिए ऐसे दावे किए  जा रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया था कि पिछले साल सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद केंद्र सरकार ने विशेष रूप से वानखेड़े को एजेंसी में नियुक्त किया था। मलिक ने वानखेड़े को ‘बोगस’ अधिकारी करार देते हुए कहा कि उनके खिलाफ एक बार सबूत बाहर आ जाएं तो वह एक दिन भी सरकारी सेवा में नहीं रह सकते

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