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जब राधा और बांसुरी दोनों से अलग हो गए थे भगवान श्रीकृष्ण,  जानिए उनके जीवन का अनोखा रहस्य

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 17 Aug, 2022 07:11 PM
जब राधा और बांसुरी दोनों से अलग हो गए थे भगवान श्रीकृष्ण,  जानिए उनके जीवन का अनोखा रहस्य

आज जब भी प्रेम की बात होती है तो राधा-कृष्ण का नाम  सबसे ऊपर लिया जाता है। सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ियां यही कहानी सुनती आ रही है कि श्रीकृष्ण को केवल दो ही चीजें यानी बांसुरी और राधा ही सबसे ज्यादा प्रिय थीं। कृष्ण की बांसुरी की धुन ही थी जिससे राधा श्रीकृष्ण की तरफ खिंची चली आती थी। भले ही श्रीकृष्ण और राधा का मिलन ना हो सका, लेकिन उनकी बांसुरी उन्हें हमेशा एक सूत्र में बांधे रखा। अब सवाल यह कि  फिर ऐसा क्या हुआ कि भगवान श्रीकृष्ण को  अपनी बांसुरी तोड़नी पड़ी। 

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बांसुरी की धुन सुन दौड़ आती थी गोपियां

प्रचलित कहानी के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के लिए राधा के बाद बांसुरी सबसे महत्वपूर्ण थीं। श्रीकृष्ण की मधुर बांसुरी की धुन सुन सिर्फ राधा ही नहीं बल्कि सभी गोपियां दौड़ी चली आती थी।  मगर, एक समय ऐसा आया जब कंस का वध करने के लिए कृष्ण को मथुरा रवाना हो गए। कृष्ण के विदा होने पर सिर्फ राधा ही नहीं बल्कि पूरा गोकुल दुखी हो उठा लेकिन मथुरा जाने के बाद श्रीकृष्ण कभी  लौटकर नहीं आ पाए।

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सारे कर्तव्यों से मुक्त होकर राधा ने की थी श्रीकृष्ण से मुलाकात 

कंस वध के बाद श्रीकृष्ण द्वारका बस गए और रूकमनी से शादी कर ली। उन्होंने अपने पत्नी धर्म को बखूबी निभाया लेकिन उनके मन में हमेशा राधा का ही वास रहा। सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने प्रियतम कृष्ण से मिलने गईं। जब वह द्वारका पहुंचीं तो उन्होंने कृष्ण की रुक्मिनी और सत्यभामा से विवाह के बारे में सुना लेकिन वह दुखी नहीं हुईं। जब कृष्ण ने राधा को देखा तो बहुत प्रसन्न हुए।  राधा जी को कान्हा की नगरी द्वारिका में कोई नहीं पहचानता था। राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के रूप में नियुक्त किया। 

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अकेली और कमजोर हो गई थी राधा

राधा दिन भर महल में रहती थीं और महल से जुड़े कार्य देखती थीं। मौका मिलते ही वह कृष्ण के दर्शन कर लेती थीं, लेकिन महल में राधा ने श्रीकृष्ण के साथ पहले की तरह का आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थीं इसलिए राधा ने महल से दूर जाना तय किया।  धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिलकुल अकेली और कमजोर हो गईं। उस वक्त उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की आवश्यकता पड़ी। आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए।

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राधा का वियोग सह ना पाए श्रीकृष्ण

 आखिरी मिलन पर श्रीकृष्ण ने राधा से कुछ मांगने के लिए कहा। तब राधा ने उनसे आखिरी बार बांसुरी बजाने की इच्छा जताई। श्रीकृष्ण की बांसुरी की सुरीली धुन सुनते-सुनते ही राधा ने अपना शरीर त्याग दिया। कान्हा राधा के आध्यात्मिक रूप और कृष्ण में विलिन होने तक बांसुरी बजाते रहे। भगवान राधा-श्रीकृष्ण का प्रेम अमर है लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण राधा का वियोग सह ना पाए और उन्होंने प्रेम के प्रतीक बांसुरी को तोड़कर फेंक दिया। इसके बाद उन्होंने बांसुरी या कोई भी वादक यंत्र नहीं बजाया।
 

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