हम अपनी रूटीन में कांच की बहुत सी छोटी-छोटी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। लोगों के घर कांच के बहुत सारे प्रोडक्ट्स देखने को मिलते हैं लेकिन कांच को बेकार समझ कर लोग इसे फेंक देते हैं। यह कांच हमें कभी समुद्र किनारे देखने को मिलते हैं तो कभी हमारे आस-पास कूड़े के ढेर में जिससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुक्सान पहुंचता है।
हालांकि देखा जाए तो हम कांच का इस्तेमाल और भी बहुत सारी चीजों में कर सकते हैं। हम इससे बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। इससे एक तो हमारा पर्यावरण दूषित नहीं होगा वहीं दूसरी ओर हम अपना खुद का स्टार्टअप भी शुरू कर सकते हैं। इसी का उदाहरण पेश किया है केरल की 24 वर्षीया अपर्णा ने।
बेकार पड़ी कांच की बोतलों को कर रही इस्तेमाल
अपर्णा ने बीएड पास की है और वह बेकार पड़ी कांच की बोतलों से बेहद खूबसूरत और यूनीक होम डेकॉर के प्रोडक्ट्स बनाती है। यह काम वह पिछले 3-4 सालों से कर रही है। अक्सर हम देखते हैं कि लोग अपने घरों को साफ रखने के लिए पर्यावरण को गंदा कर देते हैं। वहीं अपनी इस अनोखी कला से अपर्णा ने पिछले साल एक झील की सफाई भी करवाई।
मां से सीखी आर्ट एंड क्रॉफ्ट एक्टिविटीज
इस काम के बारे में अपर्णा ने मीडिया से बातचीत में बताया ,' मेरी मां पेशे से नर्स हैं। उन्हें घर को सजाने का काफी शौक हैं। वह कभी भी बेकार और पुरानी चीजें फेंकती नहीं हैं। मैंने बचपन से ही मां को आर्ट एंड क्रॉफ्ट का काम करते देखा है। मुझे भी हमेशा इस चीज का शौक था मैं अपने स्कूल में अक्सर इन एक्टिविटीज में हिस्सा लिया करती थी। मुझ में यह चीज उन्हीं को देखकर आई है।' अपर्णा ने इसी काम से धीरे धीरे फैब्रिक पेंटिंग करना, वेस्ट चीजों को अपसाइकिल करना सीखा।
इकट्ठा करती हैं कांच की बोतलें
अपर्णा का अब यह शौक उनका प्रोफेशन बनता जा रहा है। अपनी कला से अब उन्हें ऑर्डर भी मिलने लगे हैं। वह वेस्ट पड़ी हुई कांच की बोतलों से बहुत सी चीजें बनाने लगी हैं। अपर्णा कॉलेज से वापिस आते वक्त रास्ते में पड़े कूड़े से कांच की बोतलें इकट्ठा करती है। घर लाकर उन्हें साफ करती है और अपनी क्रिएटीविटी से अलग अलग चीजें बनाती है।
अपसायकलिंग पर्यावरण को बचाने का सही तरीका
अपर्णा को जहां आर्ट एंड क्राफ्ट करना पसंद है वहीं इस काम को करने से उन्हें बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। वह पर्यावरण प्रेमी भी हैं। अपर्णा की मानें तो पर्यावरण को बचाने का सही तरीका अपसायकलिंग है। अष्टमुडी झील काफी मशहूर है लेकिन इसका एक हिस्सा कूड़े के ढेर से भरा है ऐसे में अपर्णा ने इसे साफ करने की सोची ताकि अपसायकल से उन्हें कईं चीजें मिलें।
शुरू किया अपना स्टार्टअप
झील को साफ करने के बाद उनमें से मिलने वाली कांच की बोतलों को साफ कर उस पर क्राफ्ट बनाया गया और फिर उसे सड़क किनारे रख कर बेचा गया। इससे अपर्णा के काम करने का हौसला और बुंलद हो गया और अब वह अपना स्टार्टअप चलाती है जिसका नाम ‘कुप्पी’ है। मलयालम भाषा में इसका अर्थ बोतल होता है।
इस वजह से रखा कुप्पी नाम
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब भी आप कोई काम शुरू करो तो आपको पहले नकारात्मक विचार ही सुनने को मिलते हैं। अपर्णा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। जब वह कांच की वेस्ट बोतलें इकट्ठा करती तो लोग उन्हें कुप्पी कहकर चिड़ाते लेकिन फिर धीरे धीरे लोगों के ऑर्डर्स आने लगे। इसके बाद अपर्णा ने अपना ब्रांड नाम ‘कुप्पी’ ही रखा।
लगाती हैं अपनी वर्कशॉप
इतना ही नहीं अपर्णा ने अपने इस ब्रांड कुप्पी को टूरिस्ट डिपार्टमेंट में भी रजिस्टर कराया है। वह टूरिस्ट को भी इस पर वर्कशॉप देती हैं। अपर्णा ने अपने कमरे को कुप्पी स्टूडियो में भी तबदील किया है। अपर्णा कईं बार स्कूलों में बच्चों को वर्कशॉप दे चुकी हैं कि वह कैसे वेस्ट चीजों को अच्छे और सुंदर क्राफ्ट में बदल सकते हैं। वह ऑनलाइन भी सैशन देती हैं।
हर महीने कमाती है 40 हजार रूपए
अपर्णा अपने इस काम से हर महीने लगभग 40 हजार रूपए कमा लेती हैं। वह कांच की बोतलों से बहुत ही खूबसूरत क्राफ्ट बनाती है। इसके लिए जगह जगह से उन्हें ऑर्डर मिलते हैं। अपर्णा चाहती हैं कि वह इस काम में कईं सारे लोगों को अपने साथ जोड़े। ताकि लोग इन बेकार समानों को फेंकने से पहले एक बार जरूर सोचें।