नारी डेस्क: वाराणसी, जो कि भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र नगरी मानी जाती है, वहां साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। सनातन रक्षक दल नामक संगठन ने मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने का अभियान शुरू किया है। संगठन का तर्क है कि वाराणसी, जो काशी के नाम से भी प्रसिद्ध है, वहां केवल भगवान शिव की पूजा होनी चाहिए और साईं बाबा की मूर्तियों की पूजा शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। इसके चलते कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाया जा रहा है, जिससे एक नई बहस छिड़ गई है।
मूर्तियों को हटाने का अभियान
सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा का कहना है कि काशी में भगवान शिव सर्वोच्च देवता हैं और यहां केवल उनकी पूजा होनी चाहिए। उनके अनुसार, श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए साईं बाबा की मूर्तियों को अब तक 10 मंदिरों से हटाया जा चुका है। आने वाले दिनों में, वाराणसी के अन्य मंदिरों से भी साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की योजना बनाई जा रही है।
पुजारियों की राय
वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य पुजारियों ने भी साईं बाबा की मूर्तियों की पूजा को शास्त्रों के अनुसार अनुचित बताया। उनका कहना है कि शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है और बिना सही जानकारी के उनकी पूजा करना गलत है। बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी रम्मू गुरु ने कहा, "साईं बाबा की पूजा बिना उचित जानकारी के की जा रही थी, जो शास्त्रों के अनुसार वर्जित है।"
साईं बाबा के भक्तों की प्रतिक्रिया
साईं बाबा के भक्त और पुजारी इस कदम का विरोध कर रहे हैं। सिगरा स्थित साईं मंदिर के पुजारी समर घोष का कहना है कि यह कदम अनुचित है और इससे समाज में विभाजन और वैमनस्य फैल सकता है। उनका कहना है कि "ईश्वर का कोई भी रूप हो सकता है, और इस तरह की घटनाएं श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।" घोष के अनुसार, साईं मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं और गुरुवार को तो यह संख्या 4,000 से 5,000 तक पहुंच जाती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता मनीष हिंदवी का कहना है कि "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा ने धर्म को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है। सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो सभी धर्मों के अच्छे पहलुओं को आत्मसात करता है।" सपा के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, "भाजपा अब देवताओं के बीच भी भेदभाव कर रही है। यह उनके विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाले मूल चरित्र को दर्शाता है।"
आस्था और विवाद का संगम
साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने का यह मुद्दा धार्मिक आस्था और शास्त्रों के अनुशासन के बीच एक बड़ा विवाद बनता जा रहा है। एक तरफ साईं बाबा के अनुयायी हैं, जो इसे अपनी आस्था पर हमला मानते हैं, तो दूसरी तरफ धार्मिक संगठन हैं, जो इसे शास्त्रों के अनुसार सही ठहराते हैं। वाराणसी में यह विवाद धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को और जटिल बना रहा है, जिसका असर लोगों की आस्था और धार्मिक एकता पर भी पड़ सकता है।
यह मामला वाराणसी जैसे पवित्र स्थल पर धर्म और आस्था के बीच एक जटिल संतुलन को दर्शाता है। जहां एक ओर संगठन शास्त्रों के पालन की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर साईं बाबा के भक्त इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था पर आघात मान रहे हैं। इस पूरे विवाद के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे यह मामला किस दिशा में जाता है और क्या इससे धार्मिक और सामाजिक स्थिरता पर कोई प्रभाव पड़ता है।