अफगानिस्तान में तालिबान का डर इस समय हर नागरिक को हो खासकर उन महिलाओं को जिनकी उम्र 17 साल से ज्यादा है। दरअसल, जुलाई में तालिबान नेताओं ने स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ विवाह के लिए 15 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 वर्ष से कम उम्र की विधवाओं की सूची प्रदान करने का आदेश जारी किया था। अभी यह मालूम नहीं हो सका है कि उनके हुक्म की तामील हुई है या नहीं। जबरन विवाह होते हैं, तो महिलाओं और लड़कियों को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाया जाएगा और फिर से तालीम देकर प्रामाणिक इस्लाम में परिवर्तित किया जाएगा।
इस समय अफगानी लोग तालिबान का जुल्म झेल रहे। इंतहा यहां तक पहुंच गई कि अफगानियों को अपना बसा बसाया घर छोड़ कर मुल्क से भागना पड़ रहा है। तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है। वहीं इस सकंट के बाद ऐसी कई महिलाओं की चिंता जनक हालत सामने आई हैं जिसे पढ़कर हर किसी की रूह कांप जाए।
अफगानी महिला से सुनिए दिल दहला देने वाली आपबीती
इसी बीच अफगान में तालिबान का कहर झेल चुकी एक पीड़ित महिला ने अपनी आप बीती सुनाई। इस महिला के अनुसार, जब वह अपने पति और बच्चे के साथ नवंबर 2020 से दिल्ली में रह रही थी तब तालिबान ने उसे गोली मारी थी, उसकी दोनों आंखें फोड़ दी थीं, इसके बाद वह अपना इलाज कराने दिल्ली आई थी, तबसे यहीं पर हैं।
तालिबान की नजरों में औरतें जीवित इंसान नहीं केवल एक मांस का टुकड़ा
अपना दर्द बयां करते हुए 33 वर्षीय पीड़ित महिला खतेरा ने एक न्यूज चैनल को बताया कि तालिबान की नजरों में औरतें जीवित इंसान नहीं हैं, वे महिलाओं को सिर्फ मांस समझते हैं। खतेरा पर पिछले साल गजनी प्रांत में तालिबान के लड़ाकों ने हमला किया था। उन्होंने खतेरा को गोली मारी थी और उनकी दोनों आंखें फोड़ दी थीं। खतेरा के अनुसार यह हमला उसके पिता ने करवाया था, जो पूर्व तालिबान लड़ाके थे।
बता दें कि खतेरा कोई आम नागरिक नहीं ब्लकि अफगानिस्तान की पूर्व पुलिस कर्मी हैं। तालिबान ने पिछले साल अक्टूबर में उस समय उन्हें बुरी तरह पीटा था जब वह दो महीने की गर्भवती थीं। काम से घर वापस जाने पर उन्हें तीन तालिबान लड़ाकों ने रोक दिया था। उन्होंने पहले उनकी आईडी की जांच की, फिर उन्हें कई बार गोली मारी, उनके शरीर के ऊपरी हिस्से में आठ गोलियां लगीं और कई जगह चाकू से वार किए गए।
प्रताड़ित करने के बाद महिलाओं को कुत्तों के हवाले छोड़ देते है तालिबानी
खतेरा ने बताया कि तालिबान पहले महिलाओं को प्रताड़ित करते फिर सजा के रूप में हमारे शरीर को कुत्तों के हवाले छोड़ देते है। मैं भाग्यशाली थी कि मैं इससे बच गई।
महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों के पास जाने की अनुमति नहीं
तालिबानियों की दरिंदगी को बयां करते हुए महिला ने बताया कि महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों के पास जाने की अनुमति नहीं देता है और साथ ही महिलाओं को पढ़ने और काम करने नहीं देता है, तो फिर एक महिला के लिए क्या बचा है?
12 साल की सकीना की तरह लाखों बच्चे हुए बेघर
इसी तरह एक 12 साल की बच्ची की दर्दनाक दास्तां सामने आई। जिसका नाम सकीना है और उसकी उम्र कोई 11 या 12 साल होगी, लेकिन तालिबान ने जैसे ही उत्तरी अफगानिस्तान में उसके गांव पर कब्जा जमाया, उसे अपने परिवार के साथ अपना घर छोड़ना पड़ा। तालिबान के आतंकियों ने सकीना के स्कूल को भी आग के हवाले कर दिया।