नारी डेस्क: देश में मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि यौन शोषण करने वाला कोई नजदीकी ही होता है। ऐसे में बच्चों को "गुड टच" और "बैड टच" के बारे में सिखाना बेहद ज़रूरी है ताकि वे अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रह सकें। यह बच्चों को उनके शरीर के बारे में जानकारी देने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यहां कुछ तरीके बताए गए हैं जिनसे आप बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखा सकते हैं।
शरीर के अंगों के बारे में दें जानकारी
बच्चों को उनके शरीर के अंगों के बारे में सही जानकारी दें। यह उन्हें समझाने का समय है कि उनके शरीर के कुछ हिस्से निजी होते हैं, जिन्हें दूसरों को छूने की अनुमति नहीं है। शरीर के निजी अंगों को समझाते समय उन्हें नामों से न बुलाकर सरल शब्दों का प्रयोग करें, ताकि वे आसानी से समझ सकें।
गुड टच और बैड टच का मतलब समझाएं
गुड टच: यह वह स्पर्श है जिससे बच्चे को प्यार, आराम और सुरक्षा महसूस होती है। जैसे माता-पिता या रिश्तेदारों का गले लगाना, प्यार से चूमना।
बैड टच: यह वह स्पर्श है जो बच्चे को असहज, डरावना या अजीब लगता है। अगर कोई व्यक्ति उनके निजी अंगों को छूने की कोशिश करता है, तो वह बैड टच है।
अपने शरीर की इज्जत करना सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि उनका शरीर उनका अपना है और कोई भी बिना उनकी अनुमति के उन्हें नहीं छू सकता। यह उन्हें यह समझने में मदद करेगा कि वे अपने शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं।
ना कहना सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि अगर कोई उन्हें गलत तरीके से छूने की कोशिश करता है, तो वे "ना" कह सकते हैं। उन्हें बताएं कि ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है और वे ऐसा कर सकते हैं। बच्चों को सिखाएं कि अगर वे किसी भी प्रकार के स्पर्श से असहज महसूस करते हैं, तो वे तुरंत उस जगह से दूर चले जाएं और किसी विश्वसनीय व्यक्ति को इसकी जानकारी दें।
विश्वास की भावना विकसित करें
बच्चों को भरोसा दिलाएं कि अगर उन्हें कभी कुछ गलत महसूस होता है, तो वे बिना डरे आपसे या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात कर सकते हैं। उन्हें यह भी समझाएं कि वे किसी भी स्थिति में आपसे छुपाकर कुछ भी न रखें।
स्पष्ट और खुलकर संवाद करें
बच्चों के साथ इस विषय पर खुलकर बात करें और उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दें। उनके सवालों का धैर्यपूर्वक उत्तर दें। उन्हें उदाहरण देकर समझाएं कि कौन से स्पर्श सुरक्षित हैं और कौन से नहीं।
"सुरक्षित लोग" और "सुरक्षित जगहें" समझाएं
बच्चों को बताएं कि कौन-कौन से लोग (जैसे माता-पिता, शिक्षक) और कौन-कौन सी जगहें (जैसे घर, स्कूल) सुरक्षित होती हैं। उन्हें यह भी बताएं कि अगर कोई व्यक्ति या जगह उन्हें असुरक्षित महसूस कराती है, तो वे तुरंत वहां से चले जाएं और मदद मांगें।
संकेतों की पहचान करना सिखाएं
बच्चों को बताएं कि बैड टच के संकेत क्या हो सकते हैं। जैसे कि जब कोई व्यक्ति उन्हें अकेले में छूने की कोशिश करे, उनसे इस बारे में चुप रहने के लिए कहे, या उन्हें डराने की कोशिश करे। उन्हें यह सिखाएं कि ऐसे संकेत मिलने पर उन्हें तुरंत किसी वयस्क को बताना चाहिए।
घटनाओं की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करें
बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे अगर किसी भी तरह की गलत हरकत का सामना करते हैं, तो तुरंत अपने माता-पिता या शिक्षकों को इसकी जानकारी दें। बच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि किसी भी स्थिति में वे गलत नहीं हैं और वे हमेशा आपकी मदद ले सकते हैं।
रीइनफोर्समेंट
समय-समय पर इस विषय पर बच्चों से बातचीत करते रहें। उन्हें रियल-लाइफ उदाहरण देकर फिर से समझाएं। स्कूलों और समुदायों में भी इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, ताकि बच्चे इस विषय में अधिक सजग हो सकें।इस तरह के संवाद और शिक्षा से बच्चे न केवल अपने शरीर के प्रति सजग होंगे, बल्कि किसी भी अप्रिय स्थिति में सही कदम उठाने के लिए तैयार रहेंगे।