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नवरात्रि का आयुर्वेद में गहरा संबंध, मां दुर्गा का स्वरूप है ये 9 औषधियां

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 17 Apr, 2021 01:03 PM
नवरात्रि का आयुर्वेद में गहरा संबंध, मां दुर्गा का स्वरूप है ये 9 औषधियां

कोरोना वायरस के बुरे दौर से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनना, हाथों को सेनैटाइज करना और इम्यूनिटी बढ़ाने जैसी मुख्य हिदायतें दी जा रही हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएंगे, जिसमें नवदुर्गा के 9 रुप विराजते हैं। नवदुर्गा यानि मां दुर्गा के नौ रूप मानी जाने वाली ये 9 औषधियां डाइट में लेने से ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ेगी बल्कि शरीर को कैंसर जैसी कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलेगी। इन औषधि को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति और ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है। ये कई रोगों के प्रति एक कवच का काम करती हैं, इसलिए इन्हें दुर्गाकवच कहा जाता है। चलिए आपको बताते हैं इन दिव्य औषधियों के बारे में...

1. देवी शैलपुत्री - हरड़

हिमावती औषधि‍ हरड़ या हरीतकी देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं, जो सात प्रकार की होती है। इससे पेट संबंधी समस्याएं नहीं होती और ये अल्सर में काफी फायदेमंद है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में इसका सेवन कई रोगों से बचाने में मदद करता है।

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2. देवी ब्रह्मचारिणी - ब्राह्मी

नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ब्राह्मी औषधी याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है। ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। वहीं, इसका नियमित सेवन पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।

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3. देवी चंद्रघंटा - चन्दुसूर

चन्दुसूर या चमसूर धनिए के समान दिखने वाला ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियां सब्जी बनाने के लिए यूज होती है। नियमित इसका सेवन मोटापा कम करने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाता है। साथ ही यह पौधा स्मरण शक्ति बढ़ाने, दिल को स्वस्थ रखने में भी मददगार है।

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4. देवी कुष्माण्डा - पेठा

पेठा को कुम्हड़ा भी कहते हैं इसलिए इसे नवदुर्गा का चौथा रूप माना जाता है। यह औषधि शरीर में सभी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ रक्तपित्त, रक्त विकार को दूर करती है। पेट के लिए भी यह औषधि किसी रामबाण से कम नहीं है। रोजाना इसका सेवन मानसिक, दिल की बीमारियों से भी बचाता है।

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5. देवी स्कंदमाता - अलसी

नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती या देवी उमा भी कहा जाता है। यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होता है। अलसी का सेवन कैंसर, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा घटाती है। आयरन, प्रोटीन और विटामिन-B6से भरपूर अलसी एनीमिया, जोड़ों के दर्द, तनाव, मोटापा घटाने में भी फायदेमंद है।

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6. षष्ठम कात्यायनी - मोइया

नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है, जिन्हें मोइया या माचिका भी कहा जाता हैं। यह औषधि कफ, पित्त की समस्याओं को दूर रखती है। इसके अलावा यह औषधि कैंसर का खतरा भी घटाती है।

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7. देवी कालरात्रि - नागदोन

दुर्गा के सांतवे रूप कालरात्रि को नागदोन औषधि के रूप में जाना जाता है। इससे ब्रेन पावर बढ़ती है और तनाव, डिप्रेशन, ट्यूमर, अल्जाइमर जैसी समस्याएं दूर रहती हैं। वहीं, इसकी 2-3 पत्तियां काली मिर्च के साथ सुबह खाली पेट लेने से पाइल्स में फायदा मिलता है। साथ ही इसके पत्तों से सिंकाई करने पर फोड़े-फुंसी की समस्या भी दूर होती है।

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8. देवी महागौरी - तुलसी

नवदुर्गा का आंठवा रूप महागौरी को औषधि नाम तुलसी के रूप में भी जाना जाता है। जहां धार्मिक नजरिए से घर में तुलसी लगाना शुभ माना जाता है वहीं, सेहत के लिए भी यह रामबाण औषधी है। तुलसी का काढ़ा या चाय रोजाना पीने से खून साफ होता है। साथ ही इससे दिल के रोगों का खतरा भी कम होता है। यही नहीं, इससे कैंसर का खतरा भी कम होता है।

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9. देवी सिद्धिदात्री - शतावरी

नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री जिसे शतावरी भी कहा जाता है स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए बेहतरीन औषधि है। यह रक्त विकार को दूर करने में मदद करती है। वहीं रोजाना इसका सेवन करने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं नहीं पनपती। शतावर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लामेट्री और घुलनशील फाइबर होता है, जो पेट को दुरुस्त रखने के साथ कई रोगों से बचाने में मददगार है।

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