पिछले कुछ दश्कों में महिलाओं के हालात सुधरे हैं। जहां पहले पुरुष सेना में भरती होकर देश की रक्षा करते थे, वहीं अब महिलाएं भी पीछे नहीं है। घर, परिवार और बच्चों का पालन पोषण करते हुए आज महिलाओं ने घर की दहलीज लांघ ली है। वो सीमा पर बैठे दुश्मनों से भी देश को बचा रही हैं। जी हां, भारतीय सेना में भी उच्च पद में महिलाएं कार्यरत हैं। कई महिलाएं वायुसेना में दमदार लड़ाकू विमान भी उड़ा रही हैं। आइए 8 मार्च को सेलेब्रिट होने पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भारतीय सेना में शामिल दमदार महिला अधिकारियों के बारे में जानते हैं, जिसका साहस हर महिला के लिए प्रेरणा बन गया है।
पहली लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा
वैसे तो अब समय बदल गया है और कई सारी महिलाएं भारतीय सेना में शामिल हो चुकी हैं, लेकिन इन सब के लिए सबसे पहले मार्ग खोला पुनीता अरोड़ा ने। बता दें पुनिता भारतीय नौसेना की पहली लेफ्टिनेंट जनरल थीं। आजादी से पहले पाकिस्तान के लाहौर में 13 अक्टूबर 1932 को जन्मीं पुनीता को साल 2004 में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। उन्होंने पूरे 36 साल नौसेना को अपनी सेवाएं दी और अपने करियर में पूरे 15 पदक हासिल किए।
पहली शहीद महिला किरण शेखावत
भारतीय सेना में महिलाएं अपनी जान देने से पीछे नहीं हट रहीं। महिलाओं में देश के लिए शहीद होने का गौरव सबसे पहले किरण शेखावत को मिला। राजस्थान के सेफरागुवार में 1 मई 1988 को जन्मी किरण ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली महिला महिला अधिकारी हैं। साल 2010 में वो भारतीय नौसेना में भर्ती हुई थीं। 24 मार्च 2015 की रात गोवा में डॉर्नियर निगरानी विमान दुर्घटमाग्रस्त हो गया था, जिसमें किरण ने अपनी जान गंवा दी।
पहली महिला एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय
एयर फोर्स की पहली महिला एयर मार्शल थीं। 1968 में पद्मावती बंधोपाध्याय वायुसेना में शामिल हुईं और 34 सालों तक देश की सेवा की। साल 2002 में उन्हें एयर वाइस मार्शल के पद पर पद्मावति को पदोन्नति मिली।
कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना
कुछ सालों पहले रिलीज हुई फिल्म गुंजन सक्सेना तो आप सब ने देखी ही होगी। इसमें जाह्नवी कपूर ने अभिनय किया था। ये फिल्म गुंजन सक्सेना पर बनी थी, जिसे कारगिल गर्ल भी कहा जाता है। गुंजन ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के सामने अपना दमखम दिखाया था। वो पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तानी सेना को टक्कर दी थी। गुंजन सक्सेना का शौर्य वीर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त पहली महिला कैडेट दिव्या अजित कुमार
दिव्या अजित कुमार पहली महिला कैडेट हैं, जिन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल हुआ। जब उनके नाम ये उपलब्धि दर्ज हुई तब वो महज 21 साल की थीं। सितंबर साल 2010 में कप्तान दिव्या अजित कुमार सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्ति मिली।