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इन्हें भी है जीने का अधिकार: रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ वृंदावन में  विधवाओं ने भी मनाई दिवाली

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 22 Oct, 2022 05:30 PM
इन्हें भी है जीने का अधिकार: रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ वृंदावन में  विधवाओं ने भी मनाई दिवाली

उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के वृन्दावन में शुक्रवार को सैकड़ों विधवा एवं परित्यक्त महिलाओं ने यमुना किनारे केशी घाट पर दीपदान कर दिवाली का उत्सव मनाया। मथुरा-वृन्दावन एवं वाराणसी के आश्रय स्थलों में रहने वाली विधवा एवं परित्यक्त महिलाओं के लिए कार्य कर रही सामाजिक संस्था 'सुलभ इण्टरनेशनल' इस दिशा में कार्य करना शुरु किया और एक दशक में काफी उपलब्धियां हासिल की है।

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 शुक्रवार शाम विभिन्न आश्रय सदनों में रहने वाली काफी संख्या में विधवा महिलाओं ने ऐतिहासिक केशी घाट पर एकत्रित होकर रंग-बिरंगे दीये जलाए और धूमधाम के साथ प्रकाश पर्व मनाया। विधवाओं ने घाट को सजाया और सैकड़ों मिट्टी के दीये जलाए। उन्होंने कृष्ण भजन गाए और अन्य भक्तों की उपस्थिति में नृत्य किया।

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यह कार्यक्रम सुलभ इंटरनेशनल द्वारा डॉ. बिंदेश्वर पाठक के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। समाज की मुख्य धारा से अब तक कटी- कटी रहने वाली इन महिलाओं के जीवन में खुशी की एक किरण लाने के लिए डॉ. पाठक ने इस अनोखे विचार के साथ इस उत्सव की शुरुआत की थी।

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पाठक ने एक बयान में कहा, "मुझे खुशी है कि हमारी पहल ने समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है और बुरी परंपरायें तेजी से गायब हो रही हैं।" विधवाओं में से एक गौरवानी दासी कहती हैं, "क्रांतिकारी पहलों की श्रृंखला से प्रेरित होकर विधवाएं अब खुश हैं और वृंदावन में रहने का आनंद ले रही हैं।" उनका संगठन 2012 से वृंदावन और वाराणसी के विभिन्न आश्रमों में रहने वाली सैकड़ों विधवाओं की देखभाल करता है।यह संस्था समय-समय पर अन्य समारोहों का आयोजन कर विधवाओं के जीवन में खुशहाली लाने में अग्रणी भूमिका निभाती रही है।
 

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