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फोन ही नहीं  स्कूलों का Smart Board भी बच्चाें की नजर कर रहा कमजोर, ऐसे करें आंखों का बचाव

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 14 Aug, 2025 05:59 PM
फोन ही नहीं  स्कूलों का Smart Board भी बच्चाें की नजर कर रहा कमजोर, ऐसे करें आंखों का बचाव

नारी डेस्क: आज कल माता- पिता अपने बच्चाें की आंखों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हैं, क्योंकि डिजिटल का ज्यादा इस्तेमाल मासूमों की नजर कमजाेर कर रहा है। स्क्रीन का ज्यादा यूज करने के चलते बच्चों के आंखों की कमजोरी के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या खासकर उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रही है जो स्मार्ट क्लासरूम में सबसे आगे बैठकर पढ़ाई करते हैं।
 

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स्मार्ट व्हाइटबोर्ड से बच्चों पर होने वाला असर 

स्मार्ट व्हाइटबोर्ड (Smart Whiteboard) के इस्तेमाल से छात्रों की आंखों पर असर कई कारकों पर निर्भर करता है- जैसे स्क्रीन की ब्राइटनेस, देखने की दूरी, रोशनी का वातावरण और इस्तेमाल की अवधि। अगर स्मार्ट व्हाइटबोर्ड की ब्राइटनेस बहुत ज्यादा हो या उस पर ज्यादा चमक (glare) हो, तो छात्रों की आँखों में थकान, पानी आना, या हल्का सिरदर्द हो सकता है।
 

 स्क्रीन टाइम और ब्लू लाइट

स्मार्ट व्हाइटबोर्ड से निकलने वाली ब्लू लाइट लंबे समय तक देखने पर आंखों की थकान (Digital Eye Strain) बढ़ा सकती है, खासकर जब कक्षा का समय लंबा हो और बीच में ब्रेक न मिले। अगर छात्र बहुत पास से बोर्ड देखते हैं तो फोकस करने में आंखों पर ज़ोर पड़ सकता है, जिससे धुंधला दिखना या आंखों में जलन हो सकती है।

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कैसे करें बचाव?

ब्राइटनेस को मध्यम स्तर पर सेट करें। कक्षा में पर्याप्त प्राकृतिक या कृत्रिम रोशनी रखें। छात्रों को 20-20-20 रूल सिखाएं (हर 20 मिनट बाद, 20 फीट दूर 20 सेकंड देखें)। बैठने की दूरी ऐसी हो कि स्क्रीन आंखों के लेवल पर और बहुत नजदीक न हो। स्मार्ट व्हाइटबोर्ड खुद से हानिकारक नहीं होते, लेकिन उनका गलत उपयोग या ज्यादा समय तक देखने से आंखों में दिक्कत हो सकती है। सही सेटिंग और आदतों से यह समस्या काफी हद तक टाली जा सकती है।
 

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