05 DECFRIDAY2025 11:08:54 PM
Nari

Independence Day Special: इन महिलाओं ने देश के नाम की अपनी जिंदगी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 14 Aug, 2025 03:17 PM
Independence Day Special: इन महिलाओं ने देश के नाम की अपनी जिंदगी

देश की आज़ादी में नारी शक्ति का योगदान अत्यंत प्रेरणादायक और गौरवशाली रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने न केवल पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, बल्कि कई बार नेतृत्व भी संभाला। उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलनों, सत्याग्रह, जनजागरण और समाज सुधार में अहम भूमिका निभाई। इन महान महिलाओं ने न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ाया, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को भी क्रांतिकारी रूप से बदला। वे प्रेरणा की जीवित मिसाल हैं।

PunjabKesari

 सरोजिनी नायडु

'भारत की कोकिला' के नाम से विख्यात, वे एक कवयित्री और दूरदर्शी नेता थीं। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया—वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और नागरिक अवज्ञा आंदोलनों में सरोजनिक भूमिका निभाई। 


रानी लक्ष्मीबाई (झांसी की रानी)

1857 के संघर्ष में रानी लक्ष्मीबाई ने साहस और नेतृत्व का परिचय देते हुए अंग्रेजों के विरुद्ध भयंकर लड़ाई लड़ी। उन्होंने झांसी को बचाने के लिए खुद युद्धभूमि में उतरकर सेना का नेतृत्व किया। 


सवित्रीबाई फुले

भारत की पहली महिला शिक्षिका और सामाजिक सुधारक, जिन्होंने पुणे में पहली लड़कियों की स्कूल की स्थापना की। वे जाति और लिंग भेद के खिलाफ निरंतर संघर्षरत रहीं।
PunjabKesari

कप्तान लक्ष्मी सहगल

स्वातंत्र्य सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय सेना की रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट की कमांडर  कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने सभी महिलाओं को प्रेरित कर आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। 


उषा मेहता

देश छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त कांग्रेस रेडियो चलाने वाली उषा मेहता ने युवा आयु में ही आंदोलन को एक नया अभियानात्मक रूप दिया। 
 

रानी गैडिनलु (रानी गाइडिनल्यू)

नॉर्थ-पूर्व की वीरांगना, जिन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। 14 साल की कैद के बावजूद उन्होंने आदिवासी संस्कृति व आज़ादी की लड़ाई में झुकाव नहीं दिखाया। 

PunjabKesari
सुचेता कृपलानी

उन्होंने महिला मोर्चा की स्थापना की और आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और स्वतंत्र भारत में सत्ता में दाखिल होने वाली अग्रणी महिलाओं में गिनी जाती हैं।


अनसूया सराभाई

साबरमती आश्रम से जुड़ी और मिल मज़दूर संघ की संस्थापक, उन्होंने महिला श्रमिकों के अधिकारों के लिए बड़े आंदोलन चलाए और सामाजिक न्याय की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई। 


सरला देवी (ओड़िशा से)

वह नॉन-कोऑपरेशन आंदोलन में शामिल ओड़िया महिला थीं, जिन्होंने कांग्रेस की पहली महिला प्रतिनिधि बनने के साथ-साथ शिक्षा और सामाजिक सुधारों में भी अपनी पहचान बनाई। 
 

Related News